मोदी बोले- हमने सदियों की गुलामी सहन की, अब भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
बर्लिन, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के लस एलमाऊ में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने अमेरिका, फ्रांस और कनाडा के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात के बाद भाषण भी दिया। मोदी ने कहा, जी7 में बेहतर भविष्य में निवेशरू जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य विषय पर अपने संबोधन के दौरान कहा, एक भ्रांति है कि गरीब देश़.़पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन भारत का 1000 से अधिक वर्षों का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। प्राचीन भारत ने अपार समृद्घि का समय देखा है।
उन्होंने कहा, हमने सदियों की गुलामी भी सहन की है। अब स्वतंत्र भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। विश्व की 17प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है। लेकिन, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान केवल 5 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जलवायु संबंधी प्रतिबद्घताओं के प्रति भारत का संकल्प उसके प्रदर्शन से स्पष्ट है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जी-7 के समृद्घ देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के प्रयासों का समर्थन करेंगे। उन्होंने भारत में उभर रही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विशाल बाजार का फायदा उठाने के लिए भी देशों को आमंत्रित किया।
मोदी ने भारत के ‘ट्रैक रिकर्ड पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश ने समय से पहले नौ साल में गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा-क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनल-मिश्रण का लक्ष्य समय से पांच महीने पहले हासिल किया गया है। भारत के पास दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है। भारत की विशाल रेलवे प्रणाली इस दशक में ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन वाली बन जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब भारत जैसा बड़ा देश ऐसी महत्वाकांक्षा दिखाता है तो अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। हमें उम्मीद है कि जी-7 के समृद्घ देश भारत के प्रयासों का समर्थन करेंगे। आज, भारत में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का एक बड़ा बाजार उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत, हर नई तकनीक के लिए जो पैमाना प्रदान कर सकता है, वह उस तकनीक को पूरी दुनिया के लिए किफायती बना सकता है। मोदी ने कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्घांत भारतीय संस्ति और जीवन शैली का अभिन्न अंग रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने पिछले साल ग्लासगो में लाइफ (लाइफस्टाइल फर एनवायरनमेंट) मुहिम का आह्वान किया था। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने ‘लाइफ’ अभियान के लिए वैश्विक पहल की शुरुआत की। इस अभियान का लक्ष्य पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मुहिम का अनुसरण करने वालों को ट्रिपल-पी यानि ‘प्रो प्लेनेट पीपल कह सकते हैं और हम सभी को अपने-अपने देशों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा सबसे बड़ा योगदान होगा।