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सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को 12 जुलाई तक मोहलत

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नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र के सांगली के म्हैसाला में एक ही परिवार के 9 लोगों के कथित सामूहिक आत्महत्या के मामले में एक जबर्दस्त ट्विस्ट आया है। इस मामले में पहले पुलिस ने परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 25 लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन मामले में नया मोड़ एक तांत्रिक और एक अन्य शख्स की गिरफ्तारी के बाद आया है। दावा किया जा रहा है कि तांत्रिक ने परिवार के सभी लोगों को जहर पिलाया था और मामले को सामूहिक आत्महत्या का रंग दे डाला था।
तांत्रिक अब्बास मोहम्मद अली और धीरज चंद्रकांत सुर्वसे की गिरफ्तारी के बाद केस में नए तथ्य आए हैं। इसने जांच की दिशा मोड़ दी है और सामूहिक आत्महत्या से यह हत्याकांड का केस बन गया है। पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि इन दोनों ने ही पूरे परिवार को जहर पिलाकर मारा था और इसे आत्महत्या का रंग दिया था। पुलिस को यह पता चला था कि दोनों सोलापुर से 18 जून को गुप्त रूप से म्हैसाला आए थे, उसी के बाद पुलिस को इन दोनों पर मामले में शामिल होने का शक हुआ।
पिछले सप्ताह सोमवार को जानवरों के डक्टर माणिक वनमोरे, उनके भाई पोपट वनमोरे, 72 वर्षीय मां, पत्नियों और बच्चों समेत जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने कथित सुसाइड नोट के आधार पर 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।दावा किया गया था परिवार ने कुछ लोगों से कर्ज ले रखा था और उसे वापस नहीं कर पा रहे थे। कर्ज न चुका पाने के चलते परिवार को लगातर अपमानित किया जा रहा था और इसी वजह से सबने एक साथ जान देने का फैसला किया।
घटना के बाद वनमोरे के पड़ोसियों ने बताया था कि ऐसा नहीं लगता था कि यह परिवार आत्महत्या कर लेगा। एक पड़ोसी ने यह भी कहा था कि शाम को ही उन्होंने पानीपूरी की दावत दी थी। उनकी एक बेटी जो कि बैंक में नौकरी करती थी, वह भी घर आई थी। ऐसे में पुलिस को पहले से शक था कि यह केस आत्महत्या से इतर भी हो सकता है।
महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में करीब 2 घंटे सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस, केंद्र सरकार, शिवसेना और डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी किया। सुनवाई में कोर्ट ने शिंदे गुट को कुछ राहत दी है, जबकि फ्लोर टेस्ट की मांग पर कोर्ट ने कुछ भी कहने से इनकार किया।
अंतरिम आदेश से बागी पक्ष को पांच बड़ी राहत मिली है। पहला- विधायकों और उनकी फैमिली को सुरक्षा। दूसरा- अयोग्यता मामले पर जवाब देने के लिए 14 दिन का समय मिलना। तीसरा- डिप्टी स्पीकर की भूमिका सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद सवालों के घेरे में।
उद्घव ठाकरे द्वारा नियुक्त विधायक दल के नेता अजय चौधरी के खिलाफ नोटिस। पांचवां- सबसे महत्वपूर्ण कि सत्ता की लड़ाई का केंद्र मुंबई की बजाय देश की राजधानी दिल्ली ट्रांसफर हो गया। बागी गुट की मान्यता और सरकार के बहुमत का फैसला स्पीकर और विधानसभा से होगा।

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