मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट में खारिज

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हल्द्वानी। महिला से दुष्कर्म एवं नाबालिग बच्ची से छेड़छाड़ के आरोपी लालकुआं दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा के अग्रिम जमानत अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले में शनिवार को सुनवाई की। इससे पहले भी कोर्ट ने मुकेश बोरा की गिरफ्तारी पर रोक संबंधी प्रार्थनपत्र को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट में आरोपी पक्ष ने कहा मुकेश बोरा को अग्रिम जमानत दी जाए। इस मामले में उसे एक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है। यह घटना 2021 की है। दो साल आठ माह बीत जाने के बाद केस दर्ज हुआ है। एफआईआर में कहीं भी छेड़छाड़ का आरोप नहीं है। केवल बयान में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। ऐसे में पॉक्सो नहीं लग सकता। पुलिस ने उसके दोनों घरों का सामान थाने में जमा कर दिया है। बताया कि महिला उन पर नियमित करने का दबाव बना रही थी। जबकि वह मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी की कर्मचारी थी। जब मुकेश बोरा ने उस कंपनी का टेंडर निरस्त किया, तो षड्यंत्र के तहत उसे फंसाया गया। वहीं, सरकार व पीड़िता की तरफ से इसका विरोध कर कहा गया कि कुर्की हो चुकी है और अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र सुनने योग्य नहीं है। पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी ने 2021 से लेकर अब तक उसका शोषण किया है। उसे धमकाया जा रहा है। अभी तक बोरा ने अपना मोबाइल तक पुलिस को नहीं दिखाया है। निचली अदालत में बयान देते हुए नाबालिग ने कहा है कि उसके साथ छेड़छाड़ की है। जमानत का विरोध किया। पूर्व में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे जघन्य अपराधों के आरोपी को अंतरिम राहत देने से विवेचना में बाधा पहुंच सकती है और वह सबूत से छेड़छाड़ कर सकता है।

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