मुंशी हरिप्रसाद टम्टा की जीवनी विद्यालयी शिक्षा में शामिल करने की मांग
बागेश्वर। प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा में मुंशी हरिप्रसाद टम्टा की जीवनी को शामिल करने की मांग उठने लगी है। खरही मंडल की शिल्पकार सभा ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। टम्टा की 134वीं जयंती पर पारित प्रस्तावों को पारित करने की मांग की। राप्रावि भटखोला में 26 अगस्त को मुंशी हरिप्रसाद टम्टा की जयंती मनाई गई थी। जिसमें पूर्व मंत्री राम प्रसाद टम्टा की मौजूदगी में कई प्रस्ताव पास किए गए। इन प्रस्तावों को शिल्पकार सभा ने राज्यपाल को भेजा। कहा कि टम्टा ने 150 से अधिक रात्रिकालीन व दिन के विद्यालयों की स्थापना की थी। उन्होंने स्कूलों और छात्रावासों के लए व्यक्तिगत रूप से धन और जमीन भी दान की। अनुसूचित जाति को सम्मान दिलाने के लिए भी आजीवन संघर्ष किया। जिससे आज की पीढ़ी अनभिज्ञ है। इनके जीवन संघर्ष और व्यक्तित्व को लोगों के तक शामिल करने के लिए विद्यालयी शिक्षा पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी शामिल की जानी चाहिए। उन्होंने खरही मंडल में शिल्प उन्नयन संस्थान की करने की मांग की। कहा कि खरही क्षेत्र ताम्र, लौह, काष्ठ और पत्थर के शिल्प के लिए जाना जाता है। आधुनिकीकरण की दौड़ में यह कला गुम होती जा रही है। जिसे विकसित करने के लिए शिल्प उन्नयन संस्थान की स्थापना बेहद जरूरी हो गई है। उन्होंने विकास के लिए इन मामलों का संज्ञान लेने की मांग की। इस मौके पर सभा के अध्यक्ष पीतांबर लोबियाल, महामंत्री विनोद कुमार टम्टा, संजय कुमार टम्टा आदि मौजूद रहे।