नारी शक्ति: राष्ट्रपति की मुहर के बाद भी लागू होने में लग सकते हैं 4 साल
नई दिल्ली, एजेंसी। महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार (29 सितंबर) को मंजूरी दे दी। यह विधेयक 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित हुआ था। किसी भी विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है, ताकि वो कानून बन सके। इस कानून के लागू होने पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। लेकिन 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण लागू होना संभव नहीं है। क्योंकि सरकार ने संसद में कहा कि कानून बनने के बाद पहली जनगणना और फिर परिसीमन में महिला आरक्षित सीटें तय होगी। इसके बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा। 2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हो सकी है। ऐसे में महिला आरक्षण 2026 से पहले लागू होने की संभावना कम है।
संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा के दौरान 20 सितंबर को अमित शाह ने लोकसभा में महिला आरक्षण पर बहस के दौरान कहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार सरकार जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर देगी। जनगणना को पूरे होने में एक साल का समय लग सकता है। इसके बाद परिसीमन की कार्रवाई शुरू हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधि और प्रत्येक राजनीतिक दल का एक प्रतिनिधि परिसीमन आयोग का हिस्सा होगा, जैसा कि कानून कहता है।
शाह के बयान से ये संकेत तो गया है कि जनगणना और परिसीमन का काम अगले लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हो जागा। लेकिन ये काम खत्म कब होगा और उसके कितने समय बाद महिला आरक्षण लागू कर दिया जाएगा, इसे लेकर अभी भी कोई साफ तस्वीर नहीं है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के अनुसार, जनगणना के आधार पर ही परिसीमन की कवायद शुरू हो सकेगी। इस प्रक्रिया के बाद ही सीटें नई लोकसभा में की क्षमता को देखते हुए बढ़ाई जाएगी और उनका एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के हक में जाएंगा।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा था कि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लागू किया जाएगा। कर्मचारियों के लिए जनगणना का काम आसान नहीं है। इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मापदंडों से संबंधित डाटा एकत्रित करना होता है। हमारी सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी आशंका को दूर करेगी।
संसद में बहस करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी। 2024 के आम चुनावों के तुरंत बाद जनगणना की जाएगी। विधेयक के अधिनियमित होने के बाद जब भी पहली जनगणना होती है और उसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं। इसके बाद ही फिर नए सिरे से परिसीमन की कवायद की जाती है।
संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि देश में लोकसभा सांसदों की संख्या 550 से ज्यादा नहीं हो सकती। हालांकि, संविधान ये भी कहता है कि हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद होना चाहिए। आखिरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ था। इसके बाद ही सीटों की संख्या 543 तय हुई थीं। अगर हर 550 सीटों क