नए कृषि कानून किसानों के हित में : राष्ट्रपति
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए किसानों से लेकर जवानों तक की तारीफ की और बताया कि वे किस तरह कठिन परिस्थितियों में भी देश की सेवा कर रहे हैं। नए षि कानूनों के विरोध के बीच राष्ट्रपति ने इन्हें किसानों के हित में बताया और कहा कि शुरुआत में इसको लेकर कुछ आशंकाएं हो सकती हैं, लेकिन किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है।
प्हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं। संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की जिम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।
बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था। मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्घांत हैं। इनका अनवरत प्रवाह, हमारी सभ्यता के आरंभ से ही, हम सबके जीवन को समृद्घ करता रहा है। हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप, इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे। विपरीत प्रातिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने षि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी। यह तज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्घ है।
सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में – धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में – हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं। हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।
न्तरिक्ष से लेकर खेत-खलिहानों तक, शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पतालों तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे जीवन और कामकाज को बेहतर बनाया है। दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस को डी-कोड करके तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है। हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और तज्ञ राष्ट्र गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है। पिछले वर्ष, जब पूरी मानवता एक विकराल आपदा का सामना करते हुए ठहर सी गई थी, उस दौरान, मैं भारतीय संविधान के मूल तत्वों पर मनन करता रहा। मेरा मानना है कि बंधुता के हमारे संवैधानिक आदर्श के बल पर ही, इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका है। मैं यहां उन डक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य-कर्मियों, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रशासकों और सफाई-कर्मियों का उल्लेख करना चाहता हूं जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की देखभाल की है। बहुतों ने तो अपने प्राण भी गंवा दिए। इस महामारी ने, देश के लगभग डेढ़ लाख नागरिकों को, अपनी चपेट में ले लिया। उन सभी के शोक संतप्त परिवारों के प्रति, मैं अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ।
इस महामारी के कारण, हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी की शिक्षा प्रक्रिया के बाधित होने का खतरा पैदा हो गया था। लेकिन हमारे संस्थानों और शिक्षकों ने नई टेक्नलजी को शीघ्रता से अपनाकर यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की शिक्षा निरंतर चलती रहे। बिहार जैसी घनी आबादी वाले राज्य तथा जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जैसे दुर्गम व चुनौती भरे क्षेत्रों में निष्पक्ष व सुरक्षित चुनाव सम्पन्न कराना हमारे लोकतन्त्र एवं चुनाव आयोग की सराहनीय उपलब्धि रही है। टेक्नलजी की सहायता से न्यायपालिका ने, न्याय उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी रखी।