उत्तराखंड

जिला कारागार में निरूद्घ विचाराधीन बंदियों के लिये शिविर का आयोजन किया

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देहरादून। प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून ने अवगत कराया है कि माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एंव माननीय उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल के निर्देशानुसार आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ‘‘भारत का अमृत महोत्सव‘‘ के अन्तर्गत विधिक जागरूकता अभियान चलाये हेतु दिये गए निर्देशों के अनुपलन में आज माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल आर0 के0 खुलबे, की उपस्थिति में जिला कारागार, देहरादून में निरूद्घ विचाराधीन बंदियों के लिये जिला कारागार, देहरादून में शिविर का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा जिला कारागार, देहरादून में ऐसे सभी विचाराधीन बंदीगण, जिनके मुकदमों का निस्तारण अभिवाक् सौदेबाजी के आधार पर किया जा सकता है, को अभिभावक सौदेबाजी(च्समं ठंतहंपदपदह) की प्रक्रिया के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया। उक्त बंदीगण को यह भी बताया गया कि अभिभावक सौदेबाजी के लिये अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत आवेदन में कथित कथनों या तथ्यों का प्रयोग अभिभावक सौदेबाजी के अलावा किसी अन्य प्रयोजन हेतु नहीं किया जा सकता। उक्त शिविर में यह भी बताया गया कि अभिभावक सौदेबाजी (च्समं ठंतहंपदपदह) के सम्बंध में धारा 265-क से 265-ठ दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 तक के प्रावधान लागू होते है। धारा 265-क के अनुसार मृत्यु या आजीवन कारावास या 7 वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध या किसी स्त्री अथवा 14 वर्ष से कम आयु के शिशु के विरूद्व कारित अपराध या ऐसा अपराध जो देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, के सिवाय अन्य किसी भी अपराध में निरूद्घ विचाराधीन बंदियों के सम्बंध में अभिभावक सौदेबाजी (च्समं ठंतहंपदपदह) के आधार पर भी मुकदमे का निस्तारण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जिला कारागार, देहरादून में निरूद्घ विचाराधीन बंदियों को यह भी अवगत कराया गया कि यदि उनके वाद की पैरवी हेतु उनके पास अधिवक्ता की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून में निशुल्क अधिवक्ता की सुविधा हेतु प्रार्थनापत्र प्रेषित कर अपनी समस्या का निवारण कर सकते हैं। माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा जिला कारागार, देहरादून में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा स्थापित विधिक सहायता केन्द्र(स्महंस ।पक ब्सपदपब) का भी निरीक्षण किया गया जिसमें वहाँ पर पाया गया कि बंदियों को निशुल्क विधिक सेवायें दिये जाने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा जिला कारागार में निरूद्घ 02 बंदियों को पराविधिक कार्यकर्तागण के रूप में नामित किया गया है जिनके द्वारा वहाँ पर स्थापित विधिक सहायता केन्द्र में बैठकर निशुल्क विधिक सहायता हेतु रजिस्टरों का रख-रखाव सही प्रकार से किया जा रहा है। माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा रजिस्टरों का अवलोकन भी किया गया। इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया कि यदि किसी भी बंदी को अपने वाद की पैरवी हेतु निशुल्क अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो उसका विवरण भी रजिस्टर में उनके द्वारा अंकित किया जाता है तथा उनके द्वारा अधिवक्ता दिये जाने हेतु सेशन मामलें एवं अन्य मामलों से सम्बंधित प्रार्थनापत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादूनध्चीफ लीगल एड डिफेन्स कांउसिल के कार्यालय में जिला कारागार, देहरादून के माध्यम से समय-समय प्रेषित किये जाते है।
उक्त विजिट के दौरान जिला कारागार, देहरादून में महिला बैरक एवं पुरूष बैरक में निरीक्षण के दौरान बंदियों से यह पूछा गया कि यदि किसी बंदी के पास अपने वाद में पैरवी कराये जाने हेतु अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया गया है या फिर नियुक्त करने में असमर्थ है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन प्रस्तुत कर नि:शुल्क अधिवक्ता अपने वाद हेतु प्राप्त कर सकते है।
यह भी पाया गया कि माननीय जिला न्यायालय, जनपद देहरादून, माननीय उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड एवं माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली की विभिन्न माननीय अपीलीय न्यायालयों में अपील किये जाने हेतु जिला कारागार, देहरादून में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा नियुक्त पराविधिक कार्यकर्तागण द्वारा बंदियो के वाद में अपील सम्बंधित प्रार्थनापत्र भी तैयार किये जाते हंै। उक्त विजिट के दौरान जिला कारगार, देहरादून में महिला बैरक एवं पुरूष बैरक में बन्दीयों के लिए उपलब्ध शौचालयों का भी निरीक्षण किया गया, जिनकी साफ-सफाई हेतु दिशा-निर्देश दिये गये। उक्त विजिट के दौरान जिला कारगार, देहरादून में महिला बैरक एवं पुरूष बैरक में बन्दीयों के लिए पाकशाला में उचित व्यवस्था पायी गयी एवं जेल में बंदियों हेतु कैन्टीन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसमें न्यूनतम शुल्क अदा कर वह कैन्टीन कीं सुविधा ले सकते हैं। उक्त विजिट के दौरान जिला कारगार, देहरादून में माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा यह भी अवगल कराया गया कि जनपद देहरादून में मा0 राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के दिशा निर्देश अनुसार लीगल एड डिफेन्स कॉउन्सिल सिस्टम का शुभाम्भ मार्च 2020 में हो गया है जिसमें जेल में निरूद्घ बंदीयोंध् गरीब व्यक्तियों को नि:शुल्क विधिक सहायता दी जाती है जिनके मुकदमें सत्र न्यायालय में विचाराधीन है अथवा फौजदारी मुकदमों की अपीलध्तमअपेपवदहेतु नि:शुल्क विधिक सहायता लीगल एड डिफेन्स कॉउन्सिल सिस्टम द्वारा दी जाती है।
उक्त विजिट के दौरान सुविधा के दृष्टिगत माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा जेलर, जिला कारागार, देहरादून के साथ चर्चा की गयी कि जिला कारागार, देहरादून में निरूद्घ विचाराधीन बंदियों को यदि अपने परिवारजन से वार्ता करनी हो तो उसके लिये क्या प्रक्रिया है, जिस पर जेलर, जिला कारागार, देहरादून द्वारा प्रक्रिया बतायी गयी कि यदि किसी बंदी को अपने परिवारजन से जिला कारागार में उपलब्ध पी0सी0ओ0 से वार्ता करनी हो तो उसके परिवारजन का नम्बर पोस्टपेड होना अनिवार्य है तभी वह उक्त पी0सी0ओ0 का लाभ ले सकता है। जिसके उपरांत माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा जेलर, जिला कारागार, देहरादून को अवगत कराया कि वह उक्त बंदियों की सूची एवं उनके परिवारजन के मोबाईल नम्बर सहित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून को प्रेषित करें ताकि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून में नियुक्त पराविधिक कार्यकर्तागण द्वारा उक्त प्रक्रिया के सम्बंध में बंदियों के परिवारजन भली-भांति अवगत कराया जा सके जिससे जिला कारागार में निरूद्घ बंदियों की असुविधा को दूर किया जा सके। अंत में माननीय सदस्य सचिव, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा सभी बंदियों द्वारा पूटे गये प्रश्नों का उत्तर दिया गया।

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