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निसंदेह छुट्टियां शिक्षकों का अधिकार पर छात्रों का भविष्य भी शिक्षकों की जिम्मेदारी : अरविंद पांडे

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देहरादून। सर्दियों की छुट़्टियों में कटौती की तैयारी के कारण उपजे विवाद में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सोमवार को गेंद शिक्षकों के पाले में डाल दी। शिक्षा मंत्री ने कहा, छुट्टियां निसंदेह शिक्षकों का अधिकार है, लेकिन छात्रों का भविष्य भी शिक्षकों की ही जिम्मेदारी है। शिक्षकों को राष्ट्रभक्ति का परिचय देते हुए इस साल अपनी छु्ट्टियों का त्याग करना चाहिए। अब शिक्षक सर्वसम्मति से खुद जो भी तय करेंगे, सरकार उसी बात को मानेगी। शिक्षा विभाग में इस वक्त सर्दियों की छु्ट्टियों को लेकर बेचैनी का माहौल है। सरकार हाईस्कूल और इंटर मीडिएट की बोर्ड परीक्षा देने जा रहे छात्रों की सुविधा के लिए सर्दियों की छुट्टियों में कटौती का विचार कर रही है। लेकिन शिक्षक इस तैयारी से बिफरे हुए हैं। मालूम हो कि उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में 26 दिसंबर से 31 जनवरी तक और मैदानी इलाकों में एक से 13 जनवरी तक सर्दियों का अवकाश रहता है। छुट्टियों में कटौती के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि शीतकालीन अवकाश उनका अधिकार है। यह उन्हें ईएल के एवज में दी जाती है। बाकी विभागों में कर्मियों को यह समय समय पर लेने का अधिकार है। जबकि शिक्षकों गर्मी-सर्दी की छुट्टियां थोपी गई छुट्टियां हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना की वजह से साल मार्च के महीने से ही स्कूल बंद है। ऑनलाइन पढ़ाई की स्थिति भी किसी छिपी नहीं है। बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों की सहायता के लिए स्कूलों का ज्यादा से ज्यादा खुलना जरूरी है। पांचवी, आठवीं, नवीं और ग्यारहवी कक्षाओं के होम एग्जाम पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जल्द ही विधिवत तस्वीर साफ कर दी जाएगी। इस साल कोरोना की वजह से पढ़ाई प्रभावित हुए हैं। छात्रों ने ऑनलाइन और अपने स्तर पर ही पढ़ाई की है। उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत करना गलत नहीं होगा। बहरहाल, इस विषय पर अंतिम निर्णय लिया जा रहा है।
अवकाश शिक्षकों का अधिकार है। पर, मुझे उम्मीद है कि शिक्षक स्वयं आगे आकर कहेंगे कि छात्र हित में वो अपने अवकाश त्याग रहे हैं। यदि शिक्षक सर्वसम्मति से आगे आते हैं तो ही सरकार कटौती का निर्णय लेगी। -अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री

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