नितिन गडकरी ने सड़क परियोजनाओं में हो रही देरी पर उठाए सवाल
नई दिल्ली, (एजेंसी)। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय कंपनियों द्वारा तैयार की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की खराब गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट मानक के अनुरूप नहीं होती हैं। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने ये बयान दिया है। इसको लेकर पूरी खबर क्या है, आइए जान लेते हैं।
गडकरी ने कहा है कि डीपीआर की खराब गुणवत्ता के चलते न केवल परियोजना में देरी होती है बल्कि ये सड़क दुर्घटनाओं का भी सबब बनती हैं। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि फैसले में देरी के चलते राजमार्गों और दूसरी सड़क परियोजनाओं की निर्माण लागत में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की लेटलतीफी के लिए डीपीआर बनाने वाला सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि डीपीआर की गुणवत्ता एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि डीपीआर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को वरीयता दी जानी चाहिए, क्योंकि देसी कंपनियां यह काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क निर्माण में लगे ठेकेदारों को ऐसी मशीनें नहीं इस्तेमाल करनी चाहिए, जो डीजल से चलती हैं। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने मानकों से समझौता किए बिना निर्माण लागत के प्रबंधन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भारत में टनलिंग परियोजनाओं की प्रभावशाली वृद्धि के आलोक में, गडकरी ने कहा कि वर्तमान में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 357 किलोमीटर की लंबाई में 2 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 144 सुरंग परियोजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 54 सुरंग परियोजनाएं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) चरण के तहत हैं।गडकरी ने कहा कि भारत में टनल बनाने की काफी संभावनाएं हैं। मंत्री ने एक पारदर्शी, समयबद्ध, परिणामोन्मुखी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली का समर्थन किया है।