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झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की परवाह नहीं, राज्यसभा में पीएम मोदी की विपक्ष को ललकार

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नई दिल्ली , एजेंसी। लोकसभा में 140 करोड़ देशवासियों के भरोसे के रक्षा कवच का ऐलान करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में पूरे विपक्ष को ललकारा। लगभग पूरे भाषण के दौरान विपक्ष के शोर और नारों को परोक्ष रूप से उनकी बौखलाहट करार देते हुए कहा- पूरा देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है।
कांग्रेस और गांधी परिवार पर जोरदार हमला बोलते हुए उन्होंने सत्ता में रहते हुए किये करतूतों को गिनाया और साथ ही कांग्रेस के साथ विपक्ष दलों को उसकी याद भी दिलाई। उन्होंने तात्कालिक लाभ के लिए विपक्ष शासित कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम जैसी लोकलुभावन योजनाओं को अनर्थनीति बताते हुए इसे पूरे देश की आर्थिक सेहत के खतरनाक बताया और इससे बचने का सुझाव दिया।
लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी विपक्ष की ओर से मोदी पर आरोप ही ज्यादा लगाए गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले आत्मविश्वास से भरे प्रधानमंत्री ने साफ किया कि देश के लिए अपना जीवन खपा देने के बाद उन्हें विपक्ष के झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की परवाह नहीं है। 140 करोड़ देशवासी 2047 में विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ उनके साथ है।
संविधान के संघीय ढांचे की दुहाई देने वाले और सरकार पर हमले में कांग्रेस के साथ खड़े क्षेत्रीय विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह से आजाद भारत में उनकी चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया गया था। राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि कांग्रेस के शासन काल में किस तरह से 90 बार अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया गया। इनमें 50 बार अकेले इंदिरा गांधी के समय किया गया।
उन्होंने सदन में बैठे शरद पवार को 1982 में उनकी सरकार गिराये जाने के साथ ही वामपंथी दलों को केरल में नेहरू के कार्यकाल में पहली चुनी हुई सरकार गिराने की याद दिलाई। इसके साथ ही डीएमके और बीआरएस को बताया कि किस तरह से एमजीआर व करुणानिधि और एनटी रामराव की सरकार गिरा दी गई थी।
राहुल गांधी की ओर से लगातार निजी आक्षेपों को झेल रहे प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी परिवार को भी निशाने पर लिया। प्रधानमंत्री ने कहा- श्श्यह देश किसी एक परिवार की जागीर नहीं है।श्श् उन्होंने नेहरू सरनेम से परहेज करने को लेकर भी गांधी परिवार पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि देश में 600 से अधिक योजनाओं के नाम नेहरू और उनके परिवार वालों के नाम पर हैं, लेकिन फिर भी उनके परिवार का कोई व्यक्ति उनका सरनेम नहीं लगाता है।
उन्होंने पूछा कि उनकी पीढ़ी के व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से क्यों शर्मिंद्गी है ? उन्होंने बताया कि किस तरह से उनकी सरकार ने परिवार तक सीमित नामकरण को देश के गौरव और शौर्य के साथ जोड़ने का काम किया है। इस सिलसिले में उन्होंने खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद के नाम करने और अंडमान निकोबार के द्वीपों के नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस और परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखने का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तात्कालिक चुनावी लाभ के लिए राज्य और देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की कोशिशों के प्रति विपक्षी नेताओं को आगाह किया। पुरानी पेंशन स्कीम व अन्य लोकलुभावन योजनाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अनर्थ नीति है। यह देश के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देगा।
इस प्रवृति पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने सभी विपक्षी दलों से अपनी-अपनी राज्य सरकारों से इससे बचने की सलाह देने का अनुरोध किया। श्रीलंका और पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कर्ज लेकर लोकलुभावन योजनाएं चलाने का परिणाम हम पड़ोसी देशों में देख रहे हैं। इसीलिए देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों को आर्थिक अनुशासन का पालन करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लगभग 85 मिनट के भाषण में देश की समस्याओं के समाधान में कांग्रेसी सरकारों की विफलताओं और उनके स्थायी समाधान के लिए पिछले नौ सालों में किये गए प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आम लोगों की समस्याओं के समाधान को राजनीतिक लाभ का साधन बना दिया गया और सिर्फ नारों और दिखावटी कामों के बल पर जनता को गुमराह किया गया।
उनके अनुसार, पिछले नौ सालों में उनकी सरकार ने इन समस्याओं के संपूर्ण समाधान की दिशा में अहम सफलता हासिल की है और योजनाओं का लाभ धर्म, जाति और क्षेत्र में भेदभाव किये बिना शतप्रतिशत लोगों तक पहुंचाया गया है। उन्होंने इसे सच्ची पंथनिरपेक्षता बताई।

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