उत्तराखंड

अजेय त्रिवेंद्र रचेंगे इतिहास : कुछ तो बात होगी, कुछ तो ख़ास होगा CM त्रिवेंद्र में, हर बार शिकस्त खाते हैं साजिश रचने वाले

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून। उत्तराखंड राज्य बने हुए 20 साल हो गए है, लेकिन यहाँ की राजनिति कभी स्थिर नही रही है। जब जब कोई मुख्यमंत्री बना है, उसे हटाने के रोज नए षड्यंत्र रचे जाते है। किसी न किसी बहाने राजनीतिक चर्चाएं गर्म रहती है, ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके। आज भी ऐसा ही हुआ, जब तेजी से सोशल मीडिया और कुछ चैनलों में प्रायोजित खबरे चलाई गई कि सीएम त्रिवेंद्र बदले जा सकते है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी त्रिवेंद्र के विरोधी पस्त हुए है।

सीएम त्रिवेंद्र भले ही गली गली में जाकर भुट्टे न खाते हो, किसी दुकान पर जाकर जलेबी न खाते हो, लेकिन वो कभी अपने लोगो को झूठे वादे करके बेवकूफ नही बनाते है। सीएम की छवि बेहद ही सरल और स्पष्ठवादी रही है। शायद यही कारण है कि कुछ लोग उन्हें पसन्द न करते हो, लेकिन सीएम त्रिवेंद्र अपनी माटी और राज्य के विकास के लिए वचनबद्ध है। जब से त्रिवेंद्र सीएम बने है, तब से उनके विरोधी उनको सत्ता से बाहर करने में लगे हुए है, जिसके लिए समय-समय पर ऐसी अफवाहें चलाई जाती रही है, की सीएम अब हटे तब हटे। अब जबकि त्रिवेंद्र सरकर अपने चार साल पूरे करने जा रही है और एनडी तिवारी के बाद त्रिवेंद्र ही ऐसे सीएम होंगे, जो पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, तब फिर से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है।

अब राज्य की जनता भी समझ चुकी है कि राज्य में प्रचंड बहुमत की त्रिवेंद्र सरकार ही मजबूत नेतृत्व दे सकती है। आज देहरादून में केवल कोर ग्रुप की बैठक आयोजित हुई, जिस पर त्रिवेंद्र के विरोधी सक्रिय हुए और खूब अफवाहें फैलाई गई। लेकिन फिर वही हुआ, जो इन 4 सालों में हुआ, त्रिवेंद्र अजेय है और उनके विरोधी पस्त है।

आखिर क्यों बदले जाए त्रिवेंद्र रावत

आज उत्तराखण्ड गर्म है सायद वहाँ सर्दी चली गयी, आज हर ओर मुख्यमंत्री बदलवाने की दुकानें सजी थी, सायद जब उत्तराखंड बना तब हमारे शहीदो ओर माताओ ने ये नही सोचा था कि जिस राज्ये को बनाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया है वहाँ बाहरी लुटेरे आकर लूट करेंगे और हमारे लोग तमाशा देखेंगे,काश हर बार राज्ये में इस तरह से दुकाने न सजती तो हम भी बोहत आगे निकल गए होते ।

आखिर क्यों आज इस तरह की हवा चली क्या किसी का भी दिल्ली से आना ये संकेत है कि मुख्यमंत्री बदलेगा। आखिर क्यों बदले जाए त्रिवेंद्र रावत, क्या इसलिए कि उन्होंने भ्रस्टाचार कम कर दिया या बाहरी लुटेरो की दुकान बंद करदी या यूं कहें कि चंद लोगो की जो भीड़ सचिवालय में दलाली करने की दलालो की फ़ौज खत्म करदी, इसलिए मुख्यमंत्री बदल दे, या गैरसैण को राजधानी बना दी, इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए या सादगी गलत है हर ओर झुटे वादे ओर बाते होनी चाहिए, इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए, आखिर दलालो का प्रवेश खोल दिया जाए उत्तराखंड को लूटने दिया जाए सायद तब सबको सही लगेगा, ये जो मुख्यमंत्री बदलने की दुकान है ये चंद दलालो की है। आखिर क्या जनता ने कोई मांग की है या कोई बड़ा घोटाला सामने आया हो, ये अलग है कि कुछ नासमझ अधिकारी गलती कर रहे है तो उनको हटाने की जगह सीधा निसाना मुख्यमंत्री क्यों ?

क्या उन अधिकारियों की जांच की मांग नही होनी चाहिए कि कही वो ही तो ये खेल नही खेल रहे, आखिर ऐसा ईमानदार मुख्यमंत्री जिस पर कोई आरोप नही है । जिसको जनता भी सज्जन ओर ईमानदार कहती हो जिसको माताओ ओर बेटियों की चिंता हो, जिसको यहाँ के युवाओं का दर्द हो, उसको इन चंद गलत अधिकारियों और दलालो की भेट नही चढ़ने दिया जाना चाहिए, उत्तराखंड के वो चिंतक और लोग जो वास्तव में उत्तराखंड का हित चाहते है उनको आगे आना चाहिए, नही तो चंद बाहरी लोग जो आजकल परेसान है वो वापस आकर राज़ करेंगे और आप सब तमाशा देखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!