केंद्रीय योजनाओं के भी पैर खींच रहे शहरी स्थानीय निकाय, लागत का सिर्फ पांचवां हिस्सा ही हुआ खर्च

Spread the love

नई दिल्ली, एजेंसी। शहरी स्थानीय निकायों की बदहाल वित्तीय स्थिति केंद्रीय योजनाओं पर भी भारी पड़ रही है। इनका माली हालत का ही नतीजा है कि केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से दो योजनाओं में पिछले छह साल में पांचवां हिस्सा ही खर्च हो पाया है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट फाइनेंसिंग इंडियाज अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर नीड्स में शहरों में केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई की यह तस्वीर सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के पांच महत्वाकांक्षी कार्यक्रम-स्मार्ट सिटी, अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन यानी अमृत योजना, स्वच्छ भारत मिशन और प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत स्थानीय निकायों में किए गए खर्च का विश्लेषण किया गया है। इसके तहत पूरे देश के स्थानीय निकायों ने स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत योजना में वित्तीय वर्ष 2015-16 से लेकर वित्तीय वर्ष 2020-21 की छह साल की अवधि में स्वीत परियोजना की लागत का केवल पांचवां हिस्सा ही व्यय किया जा सका है।
मालूम हो कि इन योजनाओं में स्थानीय निकायों को अपने हिस्से की राशि भी मिलानी होती है। लेकिन अधिकतर निकाय तो अपना खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी, अमृत, स्वच्छ भारत और प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में अधिकांशतरू केंद्र सरकार पहली किस्त जारी करती है और इसके बाद की किस्तें राज्यों और स्थानीय निकायों में इन योजनाओं की प्रगति के आधार पर जारी की जाती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार अमृत और स्वच्छ भारत मिशन के लिए केंद्र सरकार की ओर से अपने योगदान की क्रमशरू 84 और 76 प्रतिशत धनराशि इस अवधि में जारी की गई है। इसी तरह स्मार्ट सिटी मिशन के लिए 48 प्रतिशत और प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के लिए 47 प्रतिशत धनराशि जारी की जा चुकी है।
स्वच्छ भारत मिशन के लिए परियोजनाओं की कुल लागत एक लाख 92 हजार करोड़ तथा अमृत योजना के लिए 71 हजार करोड़ रुपये रही है। स्थानीय निकाय इसका उपयोग करने में सक्षम नहीं रहे हैं क्योंकि वह अपनी राशि नहीं जोड़ पा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वे स्वच्छ भारत मिशन का केवल 22 प्रतिशत तथा अमृत योजना का केवल 18 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल कर पाए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *