चुनावी बॉन्ड: ‘सोशल मीडिया से निपटने के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े’ सीजेआई ने मीडिया ट्रॉयल पर की अहम टिप्पणी
नई दिल्ली, एजेंसी। चुनावी बॉन्ड को लेकर इन दिनों राजनीति जगत से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह बहस हो रही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड को लेकर किए जा रहे मीडिया ट्रायल को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली संविधान पीठ से ये मांग रखी। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड के बारे में जानकारी देनी चाहिए, लेकिन इसे लेकर जो रिपोट्र्स बनाई जा रही हैं, उन्हें रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। इस पर अदालत ने कहा कि एक बार जब अदालत कोई फैसला सुना देती है तो यह राष्ट्र की संपत्ति बन जाती है और कोई भी इस पर बहस कर सकता है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर सूचनाओं को तोड़-मोड़ कर पेश करने के बारे में पीठ का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि 11 मार्च के आदेश के बाद अदालत से पहले उन लोगों ने प्रेस साक्षात्कार देना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि अब तोड़-मरोड़कर पेश किए गए और अन्य आंकड़ों के आधार पर, किसी भी तरह की पोस्ट की जा रही हैं। मुझे पता है कि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।
उनकी इस दलील पर सीजेआई ने कहा कि सोशल मीडिया से निपटने के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े हैं। हम कानून के शासन द्वारा शासित हैं। हमारा इरादा केवल बॉन्ड का खुलासा करना था और खुद को यहीं तक सीमित रखेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी अदालत को उस राजनीति में एक संस्थागत भूमिका निभानी है जो संविधान और कानून के शासन द्वारा शासित होती है। यही हमारा एकमात्र काम है। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
वहीं, सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को फटकार लगाते हुए 21 मार्च तक सारा डाटा चुनाव आयोग को सौंपने को कहा है। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि 15 फरवरी, 2024 के आदेश के तहत चुनावी बॉन्ड जारीकर्ता बैंक को अल्फा न्यूमेरिक नंबरों सहित सभी विवरणों का खुलासा करना होगा। हमने अपने आदेश में बैंक को बॉन्ड से संबंधित हर डाटा सार्वजनिक करने के लिए कहा था। बैंक को इस बारे में और आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने कहा, बैंक को अपने पास मौजूद डाटा का खुलासा करने में कोई परेशानी या हिचक नहीं है। एसबीआई कोई भी जानकारी छिपाकर नहीं रख रहा है। इस पर पीठ ने कहा, फैसले के पूरी तरह अनुपालन और भविष्य में किसी तरह के विवाद को टालने के लिए बैंक के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक कोर्ट के सामने गुरुवार शाम 5 बजे तक हलफनामा दायर करें कि बैंक ने अपने पास मौजूद हर डाटा का खुलासा कर दिया है और कोई भी जानकारी बची नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड विवरण के खुलासे के खिलाफ एसोचैम, सीआईआई की दलीलों पर सुनवाई से किया इनकार
पीठ ने एसोचैम, सीआईआई जैसे उद्योग संगठनों की गैर सूचीबद्ध याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। इन संगठनों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी चुनावी बॉन्ड के खुलासे के खिलाफ अपनी बात रखना चाहते थे और मामले में त्वरित सुनवाई की अपील की थी। याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत द्वारा पारित अप्रैल 2019 के अंतरिम आदेश का उल्लेख किया। शीर्ष कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से हमने विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया था। उस समय सभी को सूचित किया गया था। यही कारण है कि हमने अंतरिम आदेश से पहले बेचे गए बांड का खुलासा करने के लिए नहीं कहा था। यह संविधान पीठ द्वारा दिया गया एक सचेत विकल्प था।