पदोन्नति में आरक्षण एक संवैधानिक व्यवस्था
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। अनूसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण एक संवैधानिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था को वर्ष 2012 में समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने केन्द्र सरकार को ज्ञापन भेजकर अनुसूचित जाति-जनजाति लोक सेवकों की पदोन्नति में आरक्षण विषय संसद में लंबित 117वां संविधान संशोधन बिल पारित कर संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है।
सोहनलाल ने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को वर्ष 2012 में समाप्त कर दिया गया है। जिस कारण अनुसूचित जाति जनजाति के कार्मिकों का उच्च पदों में प्रतिनिधित्व न्यून हो गया है। जो सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण समाप्त होने के बाद समाज में असमानता बढ़ेगी। जिसका लोकतंत्र पर बुरा असर पड़ेगा। आरक्षण प्रतिनिधित्व का प्रश् है। जिस संदर्भ में संसद में लंबित 117वां संशोधन विधेयक पारित किया जाना अनिवार्य है और उसे नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।