उत्तराखंड

पंजीकरण केंद्रों में रुके यात्रियों को यात्रा पर भेजना शुरू

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देहरादून। चार धाम यात्रा को बिना पंजीकरण के हरिद्वार, ऋषिकेश पहुंचे श्रद्धालुओं को चरणबद्ध तरीके से यात्रा पर भेजने की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई है। प्रति दिन एक हजार के करीब श्रद्धालुओं को धामों में दर्शन को भेजा जा रहा है। कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडेय ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि सिर्फ उन्हीं श्रद्धालुओं को भेजा जा रहा है, जिन्हें रुके हुए लंबा समय हो गया है।
सचिवालय में मीडिया से बातचीत में कमिश्नर ने कहा कि हरिद्वार और ऋषिकेश में करीब 7500 के करीब श्रद्धालु रुके हुए हैं। जिन श्रद्धालुओं को करीब एक सप्ताह का समय हो गया है, उन्हें प्राथमिकता पर भेजा जा रहा है। ऐसे एक एक यात्रियों का ब्यौरा स्थानीय प्रशासन के पास है। इन्हीं में से सबसे पहले आने वाले श्रद्धालुओं का ऑफलाइन पंजीकरण कर यात्रा में भेजा जा रहा है। इन श्रद्धालुओं के अलावा अन्य किसी को भी ऑफलाइन पंजीकरण का लाभ नहीं मिलेगा। पहले की तरह ऑफलाइन पंजीकरण पर 31 मई तक रोक बरकरार रहेगी। पुराने रुके हुए यात्रियों के ही ट्रिप कार्ड बना कर उन्हें रवाना किया जा रहा है।कहा कि जो श्रद्धालु पंजीकरण केंद्रों में रुके हैं, उनके खाने पीने का भी इंतजाम किया गया है। हंस फाउंडेशन के साथ ही यात्रा आफिस भी यात्रियों के खाने पीने का इंतजाम कर रहा है। उन्हें पंजीकरण केंद्रों के आस पास स्थित काम्प्लेक्स में ठहराया जा रहा है। सुरक्षित यात्रा पर फोकस करते हुए यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करते हुए आधारभूत ढांचे को भी मजबूत किया जा रहा है। होल्डिंग प्वाइंट पर सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। जाम से बचने को गेट सिस्टम लागू है। धामों और यात्रा रूट में सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है। इसके लिए शहरी विकास ने दो स्पेशल अफसर तैनात किए हैं। सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराने को जियो टैग करते हुए फोटो मंगवाई जा रही हैं। इस अवसर पर महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी भी मौजूद रहे।गलत सूचना पर 13 केस दर्ज : यात्रा को लेकर गलत सूचनाएं फैलाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। ऐसे मामलों में तीन केस ऋषिकेश, एक केस हरिद्वार और नौ केस रुद्रप्रयाग में दर्ज कराया जा चुका है।
जरूरत पड़ने पर ही लेंगे केंद्रीय बलों की मदद : कमिश्नर गढ़वाल ने बताया कि चार धाम यात्रा संचालन में केंद्र की ओर से हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया गया है। इसी के तहत भीड़ नियंत्रण को एनडीआरएफ और आईटीबीपी उपलब्ध कराने का विकल्प दिया गया है। जरूरत पड़ने पर राज्य एनडीआरएफ और आईटीबीपी की मदद लेगा। फिलहाल राज्य ने अपनी व्यवस्थाओं से ही यात्रा को संभाल लिया है।
यात्रा में अभी तक कुल 52 लोगों की मौत : कमिश्नर ने बताया कि चार धाम यात्रा में अभी तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे अधिक केदारनाथ में 23 लोगों की मौत हुई है। गंगोत्री में तीन, यमुनोत्री में 12 और बदरीनाथ धाम में 14 लोगों की मौत हुई। जिनकी मौत हुई है, उनमें अधिकतर की उम्र 60 वर्ष से अधिक की थी। हार्ट अटैक से मौत हुई हैं। हेल्थ स्क्रीनिंग के दौरान ही ऐसे लोगों को यात्रा करने से मना कर दिया जाता है। अपने रिस्क पर यात्रा करने वालों से फॉर्म भरवाया जाता है।

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