आशा कार्यकत्रियों ने राज्य कर्मचारी घोषित करने सहित अन्य मांगों को लेकर तहसील में किया प्रदर्शन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। सीआईटीयू से संबंद्ध उत्तराखंड स्वास्थ्य आशा कार्यकत्री यूनियन के बैनर तले आशा कार्यकत्रियों ने राज्य कर्मचारी घोषित करने, वेतन बढ़ाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।
शुक्रवार को तहसील परिसर में प्रदर्शन करते हुए यूनियन अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने कहा कि शासन द्वारा मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आशाओं का नियुक्त किया गया था, लेकिन वर्तमान में उनके ऊपर विभिन्न प्रकार के सर्वे व काम का बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि आशाओं को अन्य कार्य करने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन काम के हिसाब से उनका वेतन भी बढ़ना चाहिए, तभी वे पूरे मनोयोग से कार्य कर पाएंगी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रूपए कोविड भत्ता देने की घोषणा की थी, लेकिन वह धनराशि अब तक आशा कार्यकत्रियों के खाते में नहीं आई है। उन्होंने कहा कि कम वेतन पर ज्यादा काम करवाकर आशा कार्यकत्रियों का शोषण किया जा रहा है, जिस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार से आशा कार्यकत्रियों को राज्य कर्मचारी घोषित कर न्यूनतम मानदेय 21000 हजार रूपए करने, सेवानिवृत्ति पर पेंशन देने, प्रतिमाह कोविड भत्ते का भुगतान करने, कोविड ड्यूटी पर लगी आशा कार्यकत्रियों का पचास लाख का जीवन बीमा, दस लाख का स्वास्थ्य बीमा करने, ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर आश्रितों को 10 लाख का मुआवजा देने, उनके बकाया वेतन का भुगतान करने की मांग की है। प्रदर्शन करने वालों में भागीरथी भंडारी, नीलम कुकरेती, कल्पना काला, कुसुम रावत, मेघा असवाल, मंजू नेगी, अनीता घिल्डियाल, कल्पना बिष्ट, विनीता काला, सुमन, गीता, सीमा, मधु ममगांई, संगीता नैथानी, उमा देवी आदि शामिल थे।