उत्तराखंड

कुविवि कुलपति पद को चुनौती देने वाली याचिका निस्तारित

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने बुधवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति पद को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायाधीश एनएस धानिक की खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित कर दिया है। खंडपीठ का कहना है कि याचिकाकर्ता का संबंधित प्रत्यावेदन 8 अप्रैल 2021 को प्रदेश के राज्यपाल को दिया गया था, जो वहां विचाराधीन है। देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने मामले में याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि कुमाऊं विवि के कुलपति प्रोफेसर एनके जोशी वीसी पद के लिए निर्धारित योग्यता और अर्हता पूरी नहीं करते हैं। उन्होंने वीसी पद के आवेदन पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में गलत और भ्रामक जानकारियां दी हैं। कुलपति के पद पर किसी व्यक्ति की तैनाती विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और यूपी यूनिवर्सिटीज एक्ट के अनुरूप होनी चाहिए। इसके लिए किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर दस वर्ष का अनुभव या किसी शोध संस्थान या अकादमिक प्रशासनिक संस्थान में समान पद का अनुभव होने की अर्हता निर्धारित है। इस पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अंर्तगत पहले कुलाधिपति योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करते हैं। इसके बाद एक सर्च कमेटी का गठन किया जाता हैं। सर्च कमेटी योग्य उम्मीदवारों में से तीन अभ्यर्थियों का चयन करती है। बाद में राज्यपाल उन तीन अभ्यर्थियों में से एक को वीसी के रूप में नामित करते हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि उनके शिक्षा संबधी अभिलेख भ्रामक हैं। उन्होंने एमएससी भौतिक विज्ञान से किया है और पीएचडी वन विज्ञान विषय से तथा प्रोफेसरी कम्प्यूटर साइंस विषय में की है। वह किसी भी राजकीय विश्वविद्यालय या संस्था में कभी भी प्रोफेसर के पद पर नहीं रहे, इसलिए वह कुलपति के लिए निर्धारित योग्यता और अर्हता पूरी नहीं करते हैं। सर्च कमेटी द्वारा उनका चयन नियमों के विरुद्घ किया गया है, लिहाजा उनको वीसी के पद से हटाया जाए।

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