पूर्व मंत्री नेगी ने कहा, देहरादून-कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर मार्ग सरकार के ठंडे बस्ते में

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तीन साल में भी नहीं बन पाई मवाकोट-कलालघाटी व कोल्हूचौड़ नदी पर पुल की फाइनल डीपीआर
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोटद्वार-कालागढ़ मोटर मार्ग आजादी के उपरान्त से ही यातायात के लिए खुला रहता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने करीब तीन वर्षों से इस मोटर मार्ग को बंद करवा दिया गया है। जिस कारण जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देहरादून-कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर मोटर मार्ग जो कि राजधानी व हाईकोर्ट को मिलाने वाली दोनों मंडलों की प्रस्तावित लाइफ लाइन थी। प्रदेश की भाजपा सरकार ने इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि विकास के दावे करने वाली भाजपा सरकार तीन वर्ष से अधिक समय में मवाकोट-कलालघाटी व कोल्हूचौड़ नदी पर कोटडीढांक सनेह में बनने वाले पुल की फाइनल डीपीआर तक नहीं बना पाई है।
पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग जो प्रदेश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मोटर मार्ग है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने आरबीआई-81 भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण द्वारा स्वीकृत तकनीक से उक्त मार्ग के निर्माण को स्वीकृत कराया था, लेकिन वर्तमान सरकार ने उक्त मार्ग को भी अनावश्यक रूप से उलझा दिया है। जिस कारण यह मोटर मार्ग नहीं बन पा रहा है। उन्होंने कहा कि कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में पिछले तीन साल से सड़कों की मरम्मत न होने से जगह-जगह सड़कों पर गढ्डे पड़े हुए है। जिस कारण आये दिन दुर्घटनाएं हो रही है। इन सड़कों पर आवाजाही करने में सबसे ज्यादा दिक्कतें बीमार व गर्भवती महिलाओं को हो रही है। सड़कों की मरम्मत के लिए पूर्व में भी कई बार बजट आवंटित करने की मांग की गई, लेकिन अभी तक सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही धन उपलब्ध करवाकर सड़कों की मरम्मत कराई जानी चाहिए। पूर्व मंत्री ने कहा कि मवाकोट-कलालघाटी व कोल्हूचौड़ नदी पर कोटडीढांक सनेह में बनने वाले पुल की फाइनल डीपीआर विगत तीन वर्षों से अधिक समय से शासन में लंबित होने के कारण इन महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। जबकि उक्त दोनों पुल मुख्यमंत्री की घोषणा में सम्मिलित है। जिन्हें प्राथमिकता से बनाया जाना चाहिए था, लेकिन क्षेत्र के प्रति उदासीनता के कारण कोटद्वार विकास में बहुत पीछे छूट गया है।

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