कोटद्वार-पौड़ी

रेल परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में मॉक ड्रिल से परखी तैयारी

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बचाव दल ने सुरंग के अदर फंसे 10 मजदूरों को सफलतापूर्वक किया रेस्क्यू
जिला मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम से सीडीओ और एडीएम ने अभियान पर रखी नजर
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : बाढ़ एवं भूस्खलन जैसी आपदा के दौरान प्रबंधन को परखने के लिए देवप्रयाग के सौड़ में रेल परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में मॉक ड्रिल की गई। मॉक ड्रिल के तहत सुुरंग में फंसे सभी 10 मजदूरों का सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया। जिला कार्यालय स्थित सभागार में स्थापित कंट्रोल रूम में डटे मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत और अपर जिलाधिकारी अनिल गब्र्याल पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए रखे हुए थे।
मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि देवप्रयाग के सौड़ में निर्माणाधीन रेलवे सुरंग में बाढ़ की वजह से मलबा आ गया है। जिसके चलते कुछ मजदूर अंदर फंस गए हैं। आपदा से बचाव हेतु जिला प्रशासन की मदद की जरूरत है। कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही नायब तहसीलदार पौड़ी, देवप्रयाग थाने से पुलिस बल, आपदा प्रबंधन और आपदा मित्र की टीम घटनास्थल की ओर रवाना हुई। इसी बीच सूचना मिली कि स्थिति को देखते हुए एनडीआरएफ की जरूरत है। इसके बाद एनडीआरएफ भी घटनास्थल की ओर रवाना हुई। कंट्रोल रूम की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस मौके पर पहुंची। प्रभावितों तक तत्काल राहत पहुंचाने और सूचनाओं के आदान-प्रदान के मकसद से सुरंग के समीप ही पुलिस कंट्रोल रूम और स्टेजिंग एरिया स्थापित किया गया। वहीं, जिलाधिकारी कार्यालय में अस्थायी तौर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। घटना की सूचना मिलते ही मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत, अपर जिलाधिकारी अनिल गब्र्याल सहित आपदा प्रबंधन से जुड़े अन्य अधिकारी भी तत्काल कंट्रोल रूम पहुंच गए। मौके पर पहुंचने के बाद बचाव दल ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। सर्वप्रथम बचाव दल ने सुरंग के अंदर फंसे दो मजदूर निकाले। दोनों सामान्य घायल थे। दोनों को 108 एंबुलेंस से लगभग 07 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवप्रयाग भेजा गया। कुछ देर बाद दल ने 06 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। बाद में शेष 02 मजदूरों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। एक मजदूर की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवप्रयाग भेजा गया। इस मौके पर मुख्य कोषाधिकारी गिरीश चंद्र, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विशाल शर्मा, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपेश काला, जिला पंचायत राज अधिकारी जीतेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता जल संस्थान एसके रॉय, अधिशासी अभियंता ऊर्जा निगम संजय कुमार, सहायक अभियंता लोनिवि शिवेंद्र अष्टवाल, सहायक उप निरीक्षक पुलिस दूरसंचार नीतू असवाल आदि मौजूद थे।

आपदा के दौरान कम्युनिकेशन और कॉर्डिनेशन महत्वपूर्ण
रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता पूर्व पर मुख्य विकास अधिकारी श्री गुणवंत ने अभियान से जुड़े लोगों को बधाई देते हुए कहा कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य कमियों को देखकर उसको दूर करना है। ताकि भविष्य में कभी ऐसी स्थिति आती है, तो सभी तैयार रहें। उन्होंने अभियान से जुड़े लोगों से कहा कि मॉक ड्रिल यदि उन्हें कोई कमी दिखी हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो संबंधित उसकी रिपोर्ट भेज दें। अपर जिलाधिकारी श्री गब्र्याल ने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही जिला मुख्यालय में स्थित अधिकारियों को तत्काल कंट्रोल रूम पहुंचना चाहिए। ताकि उनके स्तर पर कार्रवाई का संपादन हो सके। एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट सुनील कुमार ने कहा कि आपदा के दौरान कम्युनिकेशन और कॉर्डिनेशन महत्वपूर्ण होता है।

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