युवाओं को सहकारिता में मौका देने के लिए बदलाव की तैयारी, मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी विधेयक संसद में होगा पेश
नई दिल्ली, एजेंसी। बहुत जल्द सहकारिता का चेहरा बदलने वाला है। इसके तहत दशकों से जमे बैठे लोगों की जगह नए चेहरों को जगह मिल सकती है। श्मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी (संशोधन) विधेयक-2022श् चालू सत्र में ही पेश करने के लिए सूचीबद्घ है। विधेयक पेश करने से पहले इसके मसौदे पर लोगों का सुझाव मांग लिया गया है, जिसमें से कुछ सुझावों को विधेयक में जगह भी मिल सकती है। सहकारिता क्षेत्र में लंबे समय से जमे लोगों की जगह युवाओं को मौका देने के कई कानूनी बदलाव की जरूरत होगी।
संशोधित मसौदे में कहा गया है कि मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसायटी के वर्तमान निदेशक के किसी परिजन को उस सोसाइटी में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है। एक अन्य संशोधन में किसी एक मल्टी कोआपरेटिव सोसाइटी या बैंक से हटाए गए किसी डायरेक्टर को अगले पांच साल तक दूसरी सोसाइटी में डायरेक्टर नहीं बनाया जा सकता है।
नान क्रेडिट मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी में रिजर्व बैंक के पैनल से ही आडिटर नियुक्त किए जा सकेंगे। पेशेवर और युवाओं को मौका देने के लिए प्रबंध निदेशक और कार्यकारी अधिकारी जैसे पदों के लिए आयु सीमा तय कर दी गई है।
मल्टी स्टेट कोआपरेटिव एक्ट 2002 में संशोधन करना सहकारिता मंत्रालय की उच्च प्राथमिकता में है। हालांकि सहकारी क्षेत्र की कुछ संस्थाओं को संशोधन वाला विधेयक अच्छा नहीं लग रहा है। उनका कहना है कि कई ऐसे संशोधन हैं, जो सहकारिता के सिद्घांतों के खिलाफ हैं। एक प्रस्ताव है कि कोआपरेटिव संस्थाओं के शेयर सरकार की अनुमति के बगैर श्बायबैकश् नहीं किए जा सकते हैं। दरअसल, कोआपरेटिव के शेयर न तो एक्सचेंज में सूचीबद्घ होते हैं और न ही उनकी ट्रेडिंग की जा सकती हैं।