देश-विदेश

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अब खुलकर कार्रवाई कर सकेगी गुजरात पुलिस, विधेयक को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। गुजरात में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-144 का उल्लंघन कर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए सरकार और पुलिस को अधिक कानूनी शक्ति मिल गई है। इससे संबंधित विधानसभा के विधेयक पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने स्वीति दे दी है। निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर अब छह माह तक की सजा हो सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता (गुजरात संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्य विधानसभा की ओर से पारित किया गया था।
इसके तहत सीआरपीसी की धारा-144 का उल्लंघन करने को भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत एक संज्ञेय अपराध माना गया है। यह विधेयक सीआरपीसी की धारा-195 में संशोधन करता है। इसमें कहा गया है कि लोकसेवक की लिखित शिकायत के बिना कोई भी कोर्ट उनके अधिकार की अवमानना के मामले का संज्ञान नहीं लेगी। गृह मंत्रालय के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता (गुजरात संशोधन) विधेयक, 2021 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
विधेयक के अनुसार, राज्य सरकार, पुलिस आयुक्तों और जिलाधिकारियों को सीआरपीसी की धारा-144 के तहत निषेधात्मक आदेश जारी करने का अधिकार है। राज्य सरकार ने इसे और सख्त बनाते हुए ऐसे अपराधों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा है। कई अवसरों पर सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए तथा दंगा जैसे हालात को रोकने के लिए पुलिस को अधिक शक्तियों की आवश्यकता होती है।
इसमें बताया गया है कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों को निषेधाज्ञा उल्लंघन को रोकने के लिए आइपीसी की धारा-188 के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। नये कानून के तहत अब राज्य में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर छह माह तक की सजा भी हो सकती है। पहले यह जमानती एवं असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!