श्रीनगर नगर निगम बनाने का किया विरोध
आपत्ति दर्ज करवाने के लिए मात्र एक सप्ताह का समय देने का किया विरोध
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर को नगर निगम बनाए जाने के फैसले को श्रीनगर पालिका अध्यक्ष सहित नगर निगम में शामिल कराए जा रहे सात ग्राम प्रधानों ने विरोध दर्ज किया है। पालिका अध्यक्ष व ग्राम प्रधानों ने इस फैसले को जल्दबाजी और आनन फानन में लिया जाने वाला निर्णय बताया। कहा कि सरकार की ओर से ग्रामीणों को आपत्ति दर्ज करने के लिए भी मात्र एक सप्ताह का समय दिया गया है।
सोमवार को पालिका सभागार में पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी और नगर निगम में शामिल होने जा रहे गांवों के प्रधानों ने पत्रकार वार्ता की। पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने कहा कि सरकार की ओर से नगर निगम में शामिल ग्राम पंचायतों की ओर से आपत्ति दर्ज करने के लिए गहरी चाल चली गई है। उन्होंने कहा कि आपत्ति दर्ज कराने के लिए रखे गए सात दिन के समय में 31 को छुट्टी थी। दो नवंबर को धनतेरस और तीन-चार को दीपावली, पांच को गोवर्धन पूजा और छह को भैयादूज है। ऐसे में सभी लोग त्योहारों में व्यस्त हैं। सरकार ने जानबूझकर ऐसे समय पर अधिसूचना जारी की है। उन्होंने कहा कि आपत्तियों के लिए करीब 15 से 30 दिनों का समय दिया जाना चाहिए था। उन्होंने नगर निगम बनाने के सरकार की मंशा को नियमों और मानकों के विपरीत बताते हुए जनप्रतिनिधियों को परेशान करने वाला बताया है। प्रधान कलियासौड़ सावित्री देवी ने कहा कि नगर निगम में प्रस्तावित कई गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। जहां कूड़ा वाहन भी नहीं जा सकता है। साथ ही उनके गांव सहित अन्य गांवों की अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है। जबकि मनरेगा व अन्य सरकारी योजना भी ग्रामीणों का रोजगार का साधन है। अगर इन गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया तो लोगों को मनरेगा और सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस मौके पर प्रधान डुंगरीपंथ की प्रधान ममता रावत, वैद्यगांव से प्रधान के प्रतिनिधि के रूप में हरीश उनियाल, मंदोली ग्राम प्रधान सुरभि रावत, स्वीत के प्रधान राजेंद्र मोहन, सभासद विनोद मैठाणी, संजय कुमार आदि मौजूद रहे।