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शीर्ष अदालत ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट का आदेश किया रद, 28 साल बाद डकैती मामले में दोषी व्यक्ति बरी

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नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने लूट के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को करीब 28 वर्षों तक कानूनी लड़ाई का सामना करने के बाद बरी कर दिया है। दोषी को यह कहते हुए छोड़ा गया कि अभियोजन पक्ष के मामले पर संदेह था और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने सोमवार को अनवर उर्फ भुगरा को बरी कर दिया और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और निचली अदालत के आदेश को रद कर दिया। अदालत ने कहा, ”रिकार्ड पर उक्त सामग्री से, अपराध स्थल पर अपीलकर्ता की उपस्थिति और उसके पास से पिस्तौल की बरामदगी अत्यधिक संदिग्ध हो जाती है और अपीलकर्ता का दोष उचित संदेह से परे साबित नहीं किया जा सकता है। दोषसिद्धि और सजा को बरकरार नहीं रखा जा सकता है।”
अदालत ने कहा, ”अपीलकर्ता के संबंध में उच्च न्यायालय और ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और आदेश को रद किया जाता है। उसके द्वारा जमा किए गए जमानत बांड रद किए जाते हैं।” अपीलकर्ता को निचली अदालत ने दोषी ठहराया था और उसकी सजा और सजा की उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 394 और 397 के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 के तहत पुष्टि की गई थी।
अनवर उर्फ भुगरा ने हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मामले में प्राथमिकी 5 अप्रैल 1994 को हरियाणा के घरौंडा में भारतीय दंड संहिता की धारा 394 और 397 के तहत दर्ज की गई थी। शिकायत के अनुसार, वह अपने गांव से किराना सामान खरीदने के लिए गांव बरसत गया था और जब वह लौट रहा था तो अन्य लोगों के साथ आरोपित ने उसे लूट लिया।
दोषी के वकील ने तर्क दिया कि शिकायत के आधार पर अभियोजन पक्ष द्वारा बनाई गई कहानी मनगढ़ंत है। वास्तव में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी।

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