पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर छेड़ा सीएम चेहरे का मुद्दा
देहरादून। कुछ दिन की खामोशी के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा तय करने का मुद्दा छेड़ दिया। अपने तर्क के समर्थन में रावत ने चुनाव से पहले सीएम तय न करने की कांग्रेस की परिपाटी को भी उन्होंने तोड़ने की पैरवी की है। रावत का ताजा बयान बीते रोज श्रीनगर में हुई जनाक्रोश रैली के बाद आया है। इस रैली में उमड़ी भीड़ की वजह से कांग्रेस काफी गदगद है। रावत ने कहा कि ताल्लुक यदि बोझ बन जाएं तो बदलना बेहतर है। चुनाव से पहले सीएम तय करने की परंपरा को उसी तर्ज पर देखा जाना जाना चाहिए। आज लोग स्पष्ट तौर पर चुनावों में निर्णय करने से पहले चेहरा देखते हैं। रावत के अनुसार, भाजपा अपने हर चुनावी खांचे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डाल देती है। यदि कांग्रेस को लोकल बनाम लोकल करना और स्थानीय मुद्दा बनाम स्थानीय मुद्दा करना है तो कांग्रेस को भी सीएम के रूप में किसी का चेहरा आगे करना ही पड़ेगा। मैं तो सबके साथ हूं। रावत ने आगे यह भी कहा कि भविष्य में सीएम का चयन तो चुनाव में चुनकर आए सदस्य ही करेंगे, लेकिन चुनाव की रणनीति अभी तैयार करनी होगी। राज्य में सीएम को हराने की परंपरा काफी गहरी है। कुछ लोग वर्तमान सीएम तीरथ सिंह रावत जी की शुभारंभ खराब करना चाहते हैं। उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पौड़ी में हमारे पास भी सीएम को हराने वाला व्यक्तित्व मौजूद है।
सामूहिक नेतृत्व की परिपाटी, हाईकमान का फैसला अंतिम: प्रीतम
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि कांग्रेस में सीएम का चेहरा तय कर चुनाव लड़ने की परिपाटी नहीं है। सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाता है। इस विषय पर अंतिम निर्णय हाईकमान को ही लेना है। पार्टी हाईकमान जो तय करेगा, पूरी पार्टी उसी के अनुसार कार्य कर करेगी