क्वारंटाइन सेंटर्स को लेकर प्रधानों को बजट उपलब्ध कराए: हाईकोर्ट
संवाददाता, नैनीताल। हाईकोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के क्वॉरेंटाइन सेंटरों की निरीक्षण रिपोर्ट का संज्ञान लिया। रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों के क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की बदहाली, साफ-सफाई का समुचित प्रबंध न होना और उनकी उचित व्यवस्था न होने पर कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है चार मई 2020 को जारी शासनादेश के अनुपालन में जिलाधिकारियों के माध्यम से समस्त ग्राम प्रधानों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराएं। जिससे सेंटर्स की व्यवस्था को सुचारु बनाया जा सके। कोर्ट ने तुरंत स्थिति सुधार कर रिपोर्ट फाइल करने के लिए कहा। साथ ही रिपोर्ट की प्रति सचिव स्वास्थ्य को उपलब्ध कराते हुए उन्हें आदेश किया है कि रिपोर्ट में अंकित की गई कमियों पर सुधार करते हुए प्रगति आख्या कोर्ट में अगली तिथि तक दायर की जाए।
बॉर्डर पर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स बनाने के पूर्व के आदेश के बारे में राज्य सरकार द्वारा बताया गया चार जिलों में उनके द्वारा ऐसे सेंटर बनाए गए हैं, परंतु केंद्र सरकार द्वारा आवागमन में दी गई नई छूट के बाद वह भी कम पड़ेंगे। जिस पर राज्य सरकार को यह आदेशित किया गया है कि वह इस मामले में समस्त स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए अन्य जिलों में आगामी व्यवस्था बनाए। राज्य सरकार ने सचिव स्वास्थ्य, जिलाधिकारियों को आदेशित किया है कि वह समस्त ग्राम सभाओं व ग्राम पंचायतों को भरपूर मात्रा में फंड उपलब्ध कराएंगे। जिससे क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रहने वाले लोगों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में सुरक्षा और साफ-सफाई को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधानों के चुनाव नहीं हो पाए हैं वहां पर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था के लिए धनराशि वितरण की व्यवस्था हेतु राज्य सरकार जिलाधिकारियों के माध्यम से मैकेनिज्म बनाएगी।
राज्य सरकार द्वारा अदालत को बताया गया कि राज्य में 11000 रैपिड टेस्ट किट वितरित कर दिए गए हैं, जिनमें से 2100 टेस्ट किट से टेस्ट भी किए जा चुके हैं। शेष किट्स के सैंपल की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। इस पर भी अदालत ने राज्य सरकार को सेंपलिंग और टेस्ट किट के वितरण की प्रगति के बारे में 14 दिन के अंदर लिखित रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।
राज्य सरकार द्वारा यह बताया गया कि जिन होटलों में 950 रुपये में किराए पर कमरे दिए गए हैं उन होटलों में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर्स का पूरा खर्च राज्य सरकार उठा रही है। जबकि इससे अधिक किराए वाले कमरों में जो लोग रहना चाहते हैं उन्हें अपना खर्च खुद उठाना होगा। इस पर कोर्ट ने यह कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि किसी को अधिक किराए के कमरे में रहने के लिए क्वॉरेंटाइन हेतु बाध्य न किया जाए।
समस्त रिपोर्टों के साथ मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी जबकि राज्य सरकार न्यायालय के आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट कोर्ट में दायर करेगी। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल व डीके जोशी की जनहित याचिका पर एकसाथ सुनवाई न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति रवींद्र मैठानी की खंडपीठ में हुई।