रांइका भंकोली में धूमधाम से मनाया गया कंडाली महोत्सव

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उत्तरकाशी। राजकीय इंटर कालेज भंकोली में कंडाली महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कंडाली के पोषणीय और औषधीय महत्व के लिहाज से यह कार्यक्रम स्पैक्स और प्लांट बैंक के सहयोग से आयोजित किया गया। फेस्टिवल में छात्रों ने तैयार किये गये कंडाली के प्रोडक्ट-रेशे की प्रदर्शनी भी लगायी। इस मौके पर सभी ने कंडाली-बर्फी, कंडाली काफली, कंडाली सूप, कंडाली चाय, कंडाली खीर जैसे व्यंजनों का लुत्फ भी उठाया। फेस्टिवल में प्राकृतिक रंगों से होल्यार का रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। कंडाली महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि वनस्पति विशेषज्ञ डा.महेंद्र पाल सिंह परमार ने छात्रों को कंडाली के विशिष्ट गुणों पर वैज्ञानिक जानकारी दी। उन्होंने कंडाली पर लघु शोध करने के नुस्खे भी बताये। फार्मेसी के प्रोफेसर महेश भट्ट ने कंडाली के औषधीय महत्व पर छात्रों को जरूरी जानकारी दी। रिगांल एवं रेशे परिषद के जिला समन्वयक विपिन पंवार ने उत्तराखंड में तैयार किये जा रहे कंडाली के रेशे से तैयार होने वाले वस्त्र व उत्पादों के बारे में जानकारी साझा की। शिल्प रत्न पुरस्कार से सम्मानित सीएल विश्वकर्मा ने कंडाली की लकड़ी व सजावटी सामाग्री पर सुझाव और जानकारी दी। कार्यक्रम संयोजक शिक्षक डा. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि कंडाली फेस्टिवल के पीछे इस महत्वपूर्ण वनस्पति पर मंडरा रहे खतरे को भांपते हुए कंडाली की दोनों स्थानीय प्रजातियों कामन नेटल (अर्टिका स्पीसीज) व ढोलन हिमालयन नेटल (जिर्राडियाना स्पीसीज) के वैज्ञानिक, सामाजिक व पोषण के लिए व्यापक महत्व को समझाना है। उन्होंने कहा कि गाजरघास, लेंटाना व कालाबासा के अतिक्रमण से कंडाली को बचाकर संरक्षण करने की जरूरत है। इस अवसर पर प्रधानाचार्य कामदेव सिंह पंवार, अगोड़ा प्रधान मुकेश पंवार, रंगमंच से जुड़े संजय पंवार, सामाजसेवी व जैविक कृषि में कार्य रहे युवा गणेश पंवार, दिनेश रावत,सुदीप रावत, सुभाष कोहली, दीपेन्द्र, अनुपम ग्रोवर, श्रीमती अर्चना पालीवाल, मनीषा पंवार व छात्र-छात्रायें बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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