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राज्यपाल ने किया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला कोरोना योद्धाओं को सम्मानित

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देहरादून। कोरोना से लड़ाई में प्रदेश की महिलाओं का बड़ा योगदान रहा। कोरोनाकाल में उन्होंने फ्रंटलाइन पर मोर्चा संभालकर इस वैश्विक महामारी से समाज की रक्षा की। सही मायने में ये महिलाएं समाज की नींव हैं। घर की दहलीज के भीतर हो या बाहर, दोनों मोर्चों पर उन्होंने खुद को साबित किया। यह बातें राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर फ्रंटलाइन पर मोर्चा संभालने वाली कोरोना योद्धा महिलाओं को सम्मानित करते हुए कहीं। सोमवार को राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह में देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की की 51 महिलाओं को सम्मानित किया गया। इसमें स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं शामिल थीं। कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि कोरोना ने हमें जितनी आर्थिक, शारीरिक और मानसिक क्षति पहुंचाई है, उतना ही हालात से लडऩा भी सिखाया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल महिलाओं से दहेज प्रथा और नशे की प्रवृत्ति पर रोक लगाने में योगदान देने की अपील की। कहा कि इन सामाजिक कुरीतियों पर रोक लगाने के लिए व्यक्तिगत तौर पर कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही बेटी-बेटे में भेदभाव खत्म करने, बेटियों को बेहतर शिक्षा दिलाने की अपील भी की। कार्यक्रम का संचालन फूलचंद नारी शिल्प इंटर कॉलेज की शिक्षिका मोना बाली ने किया।
इससे पहले राज्यपाल ने राजभवन में साड़ी बैंक का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने कहा कि इस बैंक से जरूरतमंद महिलाएं कभी भी अपनी पसंद की साडिय़ां ले सकेंगी। सक्षम महिलाएं बैंक में साडिय़ां दान कर सकेंगी। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव बृजेश कुमार संत, अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर, विधि परामर्शी कहकशां खान, साड़ी बैंक की समन्वयक प्रीति, शिखा वैद्य आदि लोग मौजूद रहे।
साझा किए कोरोनाकाल के अनुभव
समारोह में कोरोना योद्धा महिलाओं ने कोरोनाकाल के अपने अनुभव भी साझा किए। इस क्रम में महिला कांस्टेबल राखी रावत ने बताया कि उन्होंने और उनके साथियों ने लॉकडाउन के दौरान घर-घर जाकर जरूरतमंदों को राशन, गैस सिलिंडर, दवा और सब्जियां उपलब्ध कराईं। नगर निगम रुड़की में कार्यरत पर्यावरण मित्र रानी ने बताया कि महामारी के शुरुआती दिनों में खौफ के चलते लोग उन्हें घर के बाहर बैठने भी नहीं देते थे। कई ने तो पानी तक पिलाने से इंकार कर दिया। इन चुनौतियों के बीच भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपना काम करती रहीं।

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