राज्यसभा: टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन भी किए गए निलंबित, चर्चा के दौरान चेयर की ओर देंकी थी रूल बुक
नई दिल्ली , एजेंसी। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को आपत्तिजनक व्यवहार के लिए बाकी बची शीतकालीन सत्र के पूरी कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कथित तौर पर आज ही सदन में निर्वाचन अधिनियम (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान चेयर की ओर राज्यसभा नियमावली देंकी थी।
टीएमसी सांसद ने यह कदम तब उठाया जब चेयरमैन की ओर से सदन में अव्यवस्था का हवाला देते हुए वोटिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद विपक्ष सदन से वकआउट कर गया था। सरकार ने ब्रायन की इस हरकत की निंदा की थी और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई थी।
कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने कहा, विपक्ष मतदाता पहचान पत्र और आधार को जोड़ने के विधेयक को चयन समिति के पास भेजने की मांग कर रहा था। हमें इसके प्रस्ताव के लिए अनुमति भी नहीं मिली। इसके विरोध में हमने वकआउट किया। यह विधेयक अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया है।
विपक्ष के 12 राज्यसभा सांसद पहले ही शीत सत्र की कार्यवाही से निलंबित चल रहे हैं। इन पर मानसून सत्र के दौरान अनुशासनहीनता के आरोप में यह कार्रवाई की गई है। विपक्ष इस फैसले को अलोकतांत्रिक बता रहा है और निलंबन के फैसले की वापसी के लिए सत्र की शुरुआत से ही प्रदर्शन कर रहा है।
हाईवोल्टेज ड्रामे के बीच चुनावों में वोटों का फर्जीवाड़ा खत्म करने के लिए मतदाता सूची को आधार से जोड़ने वाले चुनाव सुधार पर मंगलवार को संसद की मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021, विपक्ष के शोर-शराबे व वकआउट के बीच ध्वनिमत से पारित हो गया। लोकसभा इसे सोमवार को मंजूरी दे चुकी है।
कानून मंत्री किरन रिजिजू ने राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा, फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगाने और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक बेहद जरूरी है। इसके तहत एक मतदाता का नाम एक ही जगह की मतदाता सूची में शामिल हो सकता है। इससे फर्जी वोटिंग खत्म होगी और निर्वाचन प्रक्रिया और अधिक विश्वसनीय बनेगी।
इस दौरान विपक्ष ने बिल को जांच के लिए प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की और इसके लिए मत विभाजन का प्रस्ताव दिया। सदन ने इसे खारिज कर दिया। जिसके विरोध में विपक्षी सांसद वेल में पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच रिजिजू ने बिल पर चर्चा जारी रखते हुए कहा, निर्वाचन आयोग लंबे समय से इस चुनाव सुधार पर जोर दे रहा है।
विपक्ष का हंगामा जारी रहा और टीएमसी, माकपा, भाकपा, एनसीपी समेत कुछ दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया। वहीं भाजपा, जदयू, वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके, बीजद और टीएमसी एम ने समर्थन करते हुए कहा, इससे फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में आसानी होगी और उन्हें फर्जी वोट डालने से रोका जा सकेगा।
मतदाताओं के निजता के अधिकार का हनन: विपक्ष
कांग्रेस, टीएमसी, भाकपा, माकपा, डीएमके और सपा ने इसका विरोध करते हुए कहा, यह मतदाताओं के निजता के अधिकार में हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी निजता की स्वतंत्रता पर आदेश दिया है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग दोहराई। वहीं, रिजिजू ने विपक्ष की आपत्तियों को बेबुनियाद करार दिया।
रिजिजू ने कहा, विपक्ष सुप्रीम कोर्ट की निजी स्वतंत्रता वाले आदेश की गलत व्याख्या कर रहा है। जो पूरी तरह गलत है। निर्वाचन आयोग ने केंद्र के साथ कई बैठकों के बाद इस पर फैसला लिया है। एक व्यक्ति का नाम कई जगह सूचियों में है और इसे खत्म करने का यही सही तरीका है। इसका विरोध सिर्फ वही कर रहे हैं जो फर्जी वोटिंग का फायदा उठाते हैं।