बिग ब्रेकिंग

उत्तराखंड में तेजी से पिघले ग्लेशियर ने बढ़ाई चिंता, सेटेलाइट से नजर रख रहे वैज्ञानिक

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

 

देहरादून, एजेंसी। उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। इस साल मौसम के पैटर्न में बदलाव और तापमान में बढ़ोतरी के चलते यहां के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे, जिससे भिलंगना झील का आकार बढ़ने लगा है। ऐसे में भविष्य में झील से किसी भी प्रकार की परेशानी खड़ी न हो इसके लिए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वैज्ञानिक सेटेलाइट से झील पर नजर बनाए हुए हैं।
वाडिया की ओर से बीते कुछ समय से भिलंगना झील पर अध्ययन किया जा रहा है, लेकिन इस साल जलवायु परिर्वतन में बदलाव से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। वैज्ञानिकों का कहना है आने वाले 10 साल में तापमान में 0.5 डिग्री तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ऐसे में ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की घटनाओं में तेजी देखने को मिलेगी।
वाडिया के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं ने बताया, आमतौर पर मोरेन डैम झील खतरा पैदा करती है, जिससे झील के अन्य पहलुओं का भी अध्ययन किया जा रहा है। ऐसे में अगर झील में ज्यादा पानी आता है तो झील के चारों तरफ मोरेन से बनी दीवार पानी के तेज बहाव को झेल नहीं सकती है, इसलिए झील को लगातार मॉनिटर करने की जरूरत है। कहा, वहां जाना मुश्किल काम है ऐसे में सेटेलाइट के जरिए झील पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है, उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में करीब एक हजार ग्लेशियर मौजूद हैं। इन सभी ग्लेशियरों में हजारों की संख्या में झील मौजूद हैं। ऐसे में इन झीलों की समय पर निगरानी करना जरूरी है। साल 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर झील के टूटने से केदारघाटी में भीषण आपदा आई थी। भिलंगना झील का आकार भी ऐसे ही बढ़ता रहा तो इससे चिंता बढ़ना जाहिर सी बात है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!