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वयस्कों में बूस्टर डोज के रूप में कोवोवैक्स के तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति की सिफारिश

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नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के दवा प्राधिकार की एक विशेषज्ञ समिति ने वयस्कों में बूस्टर डोज के रूप में कोरोना रोधी टीके कोवोवैक्स के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण करने की अनुमति देने की सिफारिश की है। भारत के औषधि महानियंत्रक (क्तनहे ब्वदजतवससमत ळमदमतंस व्िप्दकपं, क्ब्ळप्) ने 28 दिसंबर को वयस्कों में आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए कोवोवैक्स को स्वीति दी थी। इसे अभी देश के टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया गया है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआइ) में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने फरवरी में डीसीजीआइ को एक अर्जी दी थी जिसमें कोवोवैक्स की सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता का मूल्यांकन करने के लिए उन लोगों को बूस्टर डोज देकर इसके तीसरे चरण के नियंत्रित अध्ययन के लिए मंजूरी मांगी थी, जिन्होंने कम से कम तीन महीने पहले कोवीशील्ड या कोवैक्सीन का टीका लगाया हो।
प्रकाश कुमार सिंह का कहना है कि कोविड-19 महामारी की अनिश्चितताओं को ध्घ्यान में रखते हुए कई देशों ने अपने नागरिकों को बूस्टर खुराक देने का काम शुरू किया है। हमें विश्घ्वास है कि इस क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी से मेक इन इंडिया फार द वर्ल्ड के नजरिए को मजबूती मिलेगी। साथ ही इससे देश के साथ दुनिया के बाकी मुल्घ्कों के लिए कोवोवैक्स की बूस्टर खुराक की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो देश में कोविड रोधी वैक्घ्सीन की 178़5 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के मुताबिक देश में 15 से 18 वर्ष आयुवर्ग के तीन करोड़ से ज्यादा किशोरों को टीके की दोनों खुराक लगाई जा चुकी है। बता दें कि तीन जनवरी को 15 से 18 वर्ष आयुवर्ग के किशोरों के टीकाकरण की शुरुआत की गई थी। इस आयुवर्ग में टीकाकरण के लिए लगभग साढ़े सात करोड़ किशोर पात्र हैं।

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