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चौदह वर्ष से ज्यादा कैद काट चुके उम्रकैदियों की जमानत और रिहाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस

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नई दिल्ली, एजेंसी। त्वरित ट्रायल हर अभियुक्त का अधिकार है लेकिन अदालतों में लगे मुकदमो के ढेर में कई बार यह अधिकार बेमानी हो जाता है। अपील पर सुनवाई का इंतजार करते करते अभियुक्त कानून में तय सजा से ज्यादा कारावास भुगत लेते हैं लेकिन अपील पर सुनवाई का नंबर नहीं आता। उत्तर प्रदेश की आगरा सेंट्रल जेल में बंद 14 साल से ज्यादा कारावास भुगत चुके 12 उम्रकैदियों ने रिहाई और जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनकी अपीलें हाईकोर्ट में वर्षों से लंबित हैं और वे 14 साल से ज्यादा कैद भुगत चुके हैं इस बीच न तो उन्हें जमानत मिली और न ही अपील का निपटारा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ये नोटिस न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी व जेके महेश्वरी की पीठ ने गत शुक्रवार को जारी किये।
मामले में कोर्ट 11 मार्च को फिर सुनवाई करेगा। उत्तर प्रदेश में उम्रकैद की सजा पाए अभियुक्तों के 14 वर्ष से ज्यादा कैद भुगत लिये जाने और अपील पर सुनवाई न होने का यह पहला मामला नहीं है जो सुप्रीम कोर्ट आया है। इससे पहले भी ऐसे बहुत से मामले सुप्रीम कोर्ट आ चुके हैं। गत 25 फरवरी को भी प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक ऐसे ही मामले में 14 वर्ष से ज्यादा सजा भुगत चुके और दस वर्ष से जमानत अर्जी और अपील हाईकोर्ट में लंबित होने के तथ्य पर संज्ञान लेते हुए अभियुक्त रितु पाल को जमानत दे दी थी।
मौजूदा मामले में 14 वर्ष से ज्यादा कैद काट चुके अभियुक्तों की ओर से पेश वकीलाषि मल्होत्रा ने याचिकाकर्ता 12 कैदियों को तत्काल जमानत पर रिहा करने का अनुरोध करते हुए न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति महेश्वरी की पीठ से कहा कि आगरा सेंट्रल जेल में बंद सभी याचिकाकर्ता कैदियों को निचली अदालत से उम्रकैद की सजा मिली है उनकी अपीलें और सजा निलंबित कर जमानत देने की अर्जियां हाईकोर्ट में वर्षों से लंबित हैं और अभी तक सभी 14 वर्ष से ज्यादा का कारावास भुगत चुके हैं। कुछ अपील 2008 की हैं। लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हुई है।
मल्होत्रा ने याचिकाकर्ता कैदियों के कारावास का चार्ट पेश करते हुए कहा कि राजेन्द्र सिंह 14 वर्ष 7 माह वास्तविक कैद और माफी की अवधि (रिमेशन) मिला कर कुल 17 वर्ष दस माह का कारावास काट चुका है। बबिता 15 साल वास्तविक और रिमेशन मिला कर 18 वर्ष, सोहन लाल 15 वर्ष वास्तविक कैद और रिमेशन के साथ 18 वर्ष दस माह, सुधीर 16 साल वास्तविक कारावार और रिमेशन के साथ 19 वर्ष सात माह, सोनू पेंटर 14 साल आठ माह वास्तविक कैद और रिमेशन के साथ 18 वर्ष नौ माह, टीका राम 14 वर्ष ग्यारह माह वास्तविक कैद और रिमेशन जोड़कर 17 वर्ष सात माह, कल्याण सिंह 16 साल वास्तविक कैद और रिमेशन मिला कर 18 वर्ष दो माह, प्रेम सिंह 14 वर्ष छह माह वास्तविक कैद और रिमेशन मिला कर 17 वर्ष 11 माह, जीत सिंह 14 वर्ष छह माह वास्तविक कैद और रिमेशन मिला कर 17 वर्ष आठ माह तथा इंद्रपाल 14 वर्ष सात माह वास्तविक कैद व रिमेशन मिलाकर 18 वर्ष छह माह का कारावास भुगत चुके हैं।
कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार पर नोटिस उसके स्टैंडिंग काउंसिल के दिया जाए। मल्होत्रा ने बहस के दौरान 25 फरवरी के प्रधान न्यायाधीश की पीठ के आदेश का भी हवाला दिया था।

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