भारतीय इतिहास पर चिंतन और मंथन किया

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चमोली। महाविद्यालय गोपेश्वर में भारतीय इतिहास पर चिंतन, विमर्श और चर्चा का आयोजन किया गया। इतिहास विभाग में भारतीय इतिहास पर शिक्षा जगत से जुड़े मनीषियों ने इतिहास के विभिन्न पक्षों को रखा। रविवार को आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने इतिहास बोध, इतिहास में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने, क्षेत्रीय इतिहास को महव प्रदान करने, अपने आप को जानने आदि विषयों पर चर्चा की। बैठक में शांति प्रसाद भट्ट ने इतिहास को समझने तथा विद्यालयी स्तर पढ़ाये जाने वाले इतिहास की विसंगतियों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक राहुल ने इतिहास संकलन योजना के सफल कार्यान्वयन हेतु इतिहासकारों, शोधकर्ताओं, इतिहास विषय में रुचि रखने वालों, प्राध्यापकों, विषय अध्यापकों, विद्यार्थियों तथा आम जनमानस को जोड़ने पर बल दिया। इतिहास संकलन योजना के अंतर्गत प्रांतीय संगठन मंत्री ड़ अभिनव तिवारी ने उत्तराखंड प्रांत में इतिहास संकलन योजना के कार्य को बढ़ाने तथा इस अभियान में सभी घटकों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर विभिन्न स्तरों पर कार्य करने हेतु प्रेरित किया। उनका कहना था कि राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के साथ-साथ जिला तथा तहसील स्तर पर कार्य करने की सलाह दी। इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डा़ शिवचंद सिंह रावत ने इतिहास लेखन और संग्रहण के मान्य पक्षों की जानकारी दी। जिला पंचायत सदस्य तथा महाविद्यालय के शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष विक्रम बर्त्वाल ने स्थानीय इतिहास पर भी कार्य करने की आवश्यकता बताई। ड़ दिनेश चंद्र सती ने भारतीय इतिहास की अनेक भ्रांतियों को बताते हुए उनकी प्रामाणिक जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रकार पुरातात्विक साक्ष्यों से इस प्रकार की भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता विनय सेमवाल ने भारतीय इतिहास की विसंगति पर प्रकाश डालते हुए गोपेश्वर त्रिशूल लेख पर उत्कीर्ण स्कंद नाग, विभुनाग तथा अंशुनाग और समुद्र गुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में उल्लिखित स्कंद नाग विभुनाग के एक ही होने पर शोधपरक और तथ्यात्मक जानकारी दी। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित चन्द्रकला तिवारी ने अपने आप से इतिहास को जानने पर बल दिया। बैठक में कालिका प्रसाद सेमवाल, अजय प्रसाद कपर्वाण, अमित मिश्रा, रविन्द्र आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए।

 

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