लॉकडाउन में पर्यावरण क्षेत्र में हुए शोध विकास योजनाओं की रणनीतियों में हो शामिल
कोरोना लॉक डाउन पर्यावरण के लिए अभिशाप या वरदान
राजीव खत्री
श्रीनगर। चारों ओर हरियाली है, नदियों में साफ पानी बह रहा है। प्रकृति में मानवीय हस्तक्षेप की कमी से मौसम में बदलाव, वायु की गुणवत्ता में तात्कालिक सुधार लॉक डाउन की अवधि से देखे गए हैं। जो पर्यावरण के लिए अच्छे संकेत हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि लाक डाउन के दौरान पर्यावरण क्षेत्र में हुए शोध कार्यों को भविष्य में होने वाले विकास कार्यों की रणनीति में शामिल किया जाना चाहिए।
पर्यावरण विशेषज्ञ लॉक डाउन को पर्यावरण के लिए वरदान मान रहे हैं। गढ़वाल विवि के भौतिक विज्ञान विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डॉ. आलोक सागर गौतम लॉक डाउन के दौरान किए गए अपने शोधों को साझा करते हुए बताते हैं कि लॉक डाउन के दौरान पर्यावरण में तात्कालिक सुधार देखने को मिले हैं। लॉक डाउन के दौरान मानवीय गतिविधियां, कारखाने आदि बंद होने से वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। डा. गौतम ने बताया कि वायु की गुणवत्ता एवं वातावरण से संबंधित एयरोसेल आप्टीकल डेप्थ में लॉक डाउन की अवधि के दौरान 20 से 58 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह सिंगल स्कैटरिंग एल्वीडो (पृथ्वी से कितनी उष्मा वातावरण में गई) भी 0.91 भी आंकी गई। जो सामान्य दिनों से कम था। डा. गौतम ने बताया कि उत्तराखण्ड व इससे सटे हुए राज्यों की वायु की गुणवत्ता मे 30 से 40 फीसदी सुधार हुआ है। वहीं श्रीनगर घाटी में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक में बहुत सुधार देखने को मिला। सामान्यत: श्रीनगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 120 के आस-पास रहता है, जबकि लॉकडाउन के दौरान यह 80 के आसपास रहा। उपरोक्त आंकडों पर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि लाक डाउन के दौरान वायु की सेहत में तात्कालिक सुधार हुआ। जो लॉक डाउन खुलने के बाद फिर उसी स्थिति में आने लगा है। डा. गौतम कहते हैं कि लॉक डाउन के दौरान पर्यावरण में हुए शोध कार्यों को भविष्य में विकास योजनाओं की रणनीति में शामिल किए जाने की जरूरत है। साथ ही वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हरित कर को सख्ती से लागू करना होगा। (फोटो संलग्न है)
किसे कहते हैं एयरोसेल
वायु में मौजूद धूल के छोटे-छोटे कण, जिन्हें हम नंगी आखों से नहीं देख सकते। उन्हें एयरोसेल कहते हैं। वायु में एयरोसेल जितने अधिक होंगे उतना ही अधिक वायु में प्रदूषण होगा। साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढे़गा।