ऐता खोह नदी में खनन का विरोध, जनप्रतिनिधियों में आक्रोश
-दुगड्डा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
-कहा नदी में खनन से बिगड़ जाएगी सिंचाई की व्यवस्था, भूस्खलन का भी भय
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत ऐता गांव के समीप खोह नदी में खनन पट्टा स्वीकृत किए जाने पर जनप्रतिनिधियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। कहा कि प्रशासन की ओर से उक्त नदी में खनन करवाए जाने की योजना बनाई जा रही है। यदी खोह नदी में खनन हुआ तो इससे सैकड़ों गांव में सिचाई की व्यवस्था बिगड़ जाएंगी। साथ ही ग्रामीणों को भूस्खलन का भी अंदेशा बना रहेगा।
समस्या के संबंध में दुगड्डा ब्लॉक प्रमुख रूचि कैंत्यूरा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि प्रशासन रिवर ट्रेनिंग के नाम पर ऐता गांव के समीप बहने वाली खोह नदी में खनन पट्टा स्वीकृत करवाने का प्रयास कर रही है। पूर्व में भी उक्त नदी में खनन करवाने का प्रयास किया गया था, जिसका ऐता, सरूडा, सकाली, उमरेला, जुआ सहित अन्य गांव के ग्रामीणों ने भारी विरोध किया था। बताया कि खोह नदी एवं गांव के स्थानों की स्थिति इस प्रकार है कि उक्त नदी से दो हाई ड्रम योजनाएं ग्राम ऐता की खेती के लिए संचालित होती हैं। रिवर ट्रेनिंग के नाम पर की जाने वाले खान से इन योजनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। साथ ही गांव को सिचाईं के लिए भी समस्याएं उठानी पड़ेंगी। कहा कि उक्त नदी पहले से ही काफी गहरी है, जिस वजह से वहां पानी रूक जाता है और आसपास के गांव की भूमि को काट रहा है। ऐसे में अगर वहां खनन किया गया तो बरसात के समय भूकटाव की स्थिति पैदा हो सकती है। साथ ही दुगड्डा क्षेत्र के पहाड़ काफी कच्चे भी है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं। पूर्व में भूस्खलन के कारण मरगांव के लोगों को मवाकोट में विस्थापित किया गया था। खनन के कारण होने वाले भूस्खलन से प्रभावित ग्रामीणों को विस्थापित करने के लिए अब शासन के पास कोई भूमि भी नहीं है। उक्त नदी पर खनन की योजना लोगों के घरों को उजाड़ने के लिए बनाई जा रही है। इस मौके पर ग्राम प्रधान सरूड़ा, क्षेत्र पंचायत सदस्य उमरैला, ग्राम प्रधान उमरैला आदि मौजूद रहे।