कोटद्वार-पौड़ी

रेशम उद्यान को विवि की पहल, पांच हजार सहतूत की पौध तैयार की

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल। रेशम फॉर्म श्रीनगर की जमीन एनआइटी को मिलने से रेशम फॉर्म के शहतूत के पेड़ आने वाले दिनों में भी श्रीनगर में जीवंत बने रहेंगे। जिसके लिए गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने एक नायाब पहल की है।
रेशम फॉर्म में लगे शहतूत के पेड़ों की कटिग लेकर विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप शोध केंद्र हैप्रक संस्थान के ब्लास हाउस में शहतूत के पेड़ों की नर्सरी भी वैज्ञानिकों ने तैयार कर ली है। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के विशेष निर्देश पर इस योजना को अमलीजामा पहना रहे है। हैप्रक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित की देखरेख में संस्थान के ग्लास हाउस की नर्सरी में शहतूत की पांच हजार से अधिक पौधें तैयार भी हो चुकी हैं। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने डॉ. विजयकांत पुरोहित के साथ ही विवि के सिविल अभियंता महेश डोभाल को भी यह जिम्मा दिया है। जिससे उस बंजर पड़ी भूमि पर शहतूत के पौधों का रोपण कर रेशम उद्यान विश्वविद्यालय विकसित करने जा रहा है। हैप्रक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित की देखरेख में आजकल इस बंजर पड़ी भूमि पर पौधारोपण करने को लेकर आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। लोअर भक्तियाना में एनएच किनारे रेशम फॉर्म की जमीन एनआइटी विस्तार को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा एनआइटी को दी जा चुकी है। गिरीश नौटियाल, जयपाल सिंह, मनमोहन रतूड़ी, कुलदीप सिंह, भुवन जोशी हैप्रक संस्थान के मालियों के अथक सहयोग से वैज्ञानिक डा. विजयकांत पुरोहित तीन महीने में शहतूत की पौधों की नर्सरी तैयार करने में सफल भी हो गए। जिसमें आज पांच हजार से अधिक शहतूत की पौध उपलब्ध है।

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