उत्तराखंड

लोकसभा चुनाव ड्यूटी में जाएंगी रोडवेज बसें, इन रूटों पर बढ़ेगी बस यात्रियों की दिक्कतें

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पिथौरागढ़। उत्तराखंड लोकसभा चुनाव में रोडवेज बसों के चुनाव ड्यूटी पर जाने पर बस यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव ड्यूटी के लिए बसों के अधिग्रहण होने पर सबसे ज्यादा परेशानी लंबी दूरी का सफर करने वाले यात्रियों को हो सकती है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से मैदानी इलाकों की ओर जाने और आने वाले यात्रियों की भी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। पिथौरागढ़, के पांच लाख से अधिक लोगों को आने वाले दिनों में रोडवेज बस सेवा के लिए जूझना पड़ेगा। पहले से ही बसों की कमी से जूझ रहे परिवहन निगम की अधिकांश बसें चुनाव ड्यूटी में जानी है। आगामी 14 अप्रैल से ही परिवहन निगम के बेडे में 15बसें कम हो जाएंगी। ऐसे में लोगों को मैदानी क्षेत्रों की यात्रा के लिए टैक्सियों में ही अधिक दाम चुकाकर सफर करना होगा। सीमांत से मैदानी क्षेत्रों के लिए रोजाना 20 बसों का संचालन किया जाता है। आरामदायक सफर और सस्ते किराए के कारण अधिकतर लोग रोडवेज बसों से ही यात्रा करना पसंद करते हैं। निगम से मिली जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन औसतन साढ़े तीन हजार लोग बसों में यात्रा करते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में लोगों को कुछ समय के लिए बसें यात्रा के लिए नहीं मिलेंगी। दरअसल लोकसभा चुनाव के कर्मचारियों को लाने-पहुंचाने के लिए रोडवेज बसों का इस्तेमाल होना है। करीब 37 बसें चुनावी ड्यूटी में लगनी हैं। आगामी 14 अप्रैल से ही 15बसें चुनाव ड्यूटी में चली जाएंगी। ऐसे में निगम के लिए विभिन्न मार्गो में अपनी सेवा को बंद करना ही एकमात्र विकल्प होगा। इसका सीधा असर यात्रियों की जेब पर भी पड़ना तय है। जब बसें संचालित नहीं होंगी तो मजबूरन लोगों को यात्रा के लिए टैक्सियों का रूख करना पड़ेगा, जो यात्रियों की जेब का बोझ बढ़ाने का काम करेगा।
बसों का संचालन बंद होने से लंबी दूरी के यात्रियों को अधिक दिक्कत उठानी पड़ेगी। सीमांत के आंतरिक क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों की आवाजाही के लिए रोडवेज बसें सबसे बेहतर विकल्प है। यहां से दिल्ली, लखनऊ, गुरु ग्राम, देहरादून सहित अन्य मार्गों के लिए सीधी बसें संचालित होती हैं।

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