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मान सरकार के मुफ्त गुरबाणी प्रसारण के फैसले पर बवाल

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नई दिल्ली, एजेंसी। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने एलान किया है कि अमृतसर में हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) से गुरबाणी का प्रसारण मुफ्त किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 में एक नया क्लॉज जोड़ेगी। हालांकि, आप सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) समेत शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। इनका तर्क है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को राज्य सरकार बदल नहीं सकती है।
पंजाब सरकार के गुरबाणी के मुफ्त प्रसारण वाले फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि गुरबाणी के प्रसारण को लेकर आप सरकार का निर्णय आखिर है क्या? इस फैसले की वजह क्या है? अब विरोध क्यों हो रहा है? राजनैतिक दल फैसले पर क्या कह रहे हैं? इस पर सरकार का क्या रुख है?
श्री हरमंदिर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त किया जाएगा। इसके लिए किसी निविदा की जरूरत नहीं होगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को मंत्रिमंडल में इस प्रस्ताव को लाए जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 20 जून को विधानसभा में प्रस्ताव पेश होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि समाज की मांग के मुताबिक यह निर्णय लिया जा रहा है।
हरमंदिर साहिब से गुरबाणी प्रसारित करने का अधिकार सिखों के सर्वोच्च निकाय, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी या एसजीपीसी द्वारा पीटीसी नेटवर्क को दिया गया है। पीटीसी नेटवर्क का स्वामित्व बादल परिवार के पास है। माना जा रहा है कि इसे मुफ्त करने का उद्देश्य नेटवर्क के एकाधिकार को खत्म करने और सभी टेलीविजन चैनलों को मौके देने का है। जब मान सरकार ने पहले गुरबाणी के प्रसारण को मुफ्त करने का प्रस्ताव दिया था, तो एसजीपीसी, बादल परिवार और अकाली दल ने इसका जमकर विरोध किया था।
मान के एलान पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कड़ी आपत्ति जताई है। धामी ने कहा कि मान की सरकार को यह पता नहीं है कि सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 में पंजाब सरकार कोई दखल नहीं दे सकती। सिर्फ केंद्र सरकार ही इसमें एसजीपीसी की सिफारिश पर संशोधन करने का अधिकार रखती है। भगवंत मान को अपने राजनीति हितों के लिए सिख कौम के अंदर दुविधा पैदा करने से बाज आना चाहिए। गुरबाणी प्रसारण आम प्रसारण नहीं है। इसकी पवित्रता व मर्यादा को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। पंजाब के तमाम दल इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। शिरोमणि अकाली दल बादल की दिल्ली इकाई के नेता परमजीत सिंह सरना ने कहा कि मान को सत्ता के नशे में गुरुघर और सिख पंथ के साथ टकराव वाले हालात पैदा करने से बाज आना चाहिए। मान सिखों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की जगह अपना सारा ध्यान पंजाब सरकार के काम में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मान सरकार एसजीपीसी में अपनी दखल बढ़ाकर सिख संस्थाओं पर कब्जा करना चाहती है, ताकि आने वाले समय में सिख संस्थाओं पर आम आदमी पार्टी का कब्जा हो सके।
अकाली दल के एक अन्य नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को असंवैधानिक और सिख समुदाय की धार्मिक गतिविधियों में सीधा हस्तक्षेप करार दिया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के आदेश के तहत किए जा रहे इस काम को सिख समुदाय कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
अन्य विपक्षी दल भी भाजपा और कांग्रेस सहित इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका भी यही तर्क है कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 संसद द्वारा बनाया गया कानून है, जिसे राज्य सरकार बदल नहीं सकती है। कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैरा ने सवाल किया कि पंजाब सरकार एक केंद्रीय अधिनियम में कैसे बदलाव कर सकती है। तमाम विरोध के बीच, पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिद्धू सरकार के फैसले के साथ आए हैं। उन्होंने एक ट्वीट किया कि वह इस कदम के पक्ष में हैं। सिद्धू ने लिखा, “सरब सांझी गुरबाणी” का अर्थ बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए है। उन्होंने कहा कि मेरे सहित दुनिया भर के लाखों सिखों की हार्दिक इच्छा थी। सराहनीय प्रयास, बधाई भगवंत मान!”

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