सब के दाता भगवान शिव शंकर: आचार्य लखेड़ा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पदमपुर मोटाढाक के शिव शक्ति मन्दिर में पांचवें दिन की कथा सुनाते हुये आचार्य राकेश चन्द्र लखेड़ा ने कहा कि हिमालय पर्वत पर पार्वती देवी ने शंकर भगवान से पूछा कि आप सम्पूर्ण देवों के स्वामी हैं, धर्मवेत्ताओं में भी श्रेष्ठ हैं। मुझे ये बताए कि धर्म का स्वरूप क्या है, भगवान शंकर बोले है देवी किसी भी जीव की हिंसा न करना, सत्य बोलना, सब प्राणियों पर दया करना, मन की इन्द्रियों पर काबू रखना तथा शक्ति के अनुसार दान देना यह ग्रहस्थ आश्रम का उत्तम धर्म है। उन्होंने कहा कि सब के दाता भगवान शिव शंकर हैं, सबकी खाली झोली भगवान शिव ही भरते हैं। यह अलग बात है कि उस दाता के देते हाथ दिखाई नहीं देते, किंतु उनकी देन अवश्य दिखाई देती है।
आचार्य राकेश चन्द्र लखेड़ा ने कहा कि मन वाणी और कर्म से किसी भी जीव की हिंसा मत करो। शत्रु और मित्र को समान भाव से देखें। दूसरों के धन पर ममता न रखें तथा अपने धन से ही सन्तुष्ट रहें। अपनी वाणी पर अंकुश रखना चाहिए। वाणी बिगड़ी तो मन बिगड़ा, मन बिगड़ा तो जीवन बिगड़ा। मन सुधरेगा तो जीवन सुधरेगा। मन को सुधारने के लिये गुरुजनों का आदर करो। गुरू उसको कहते हैं जो संसार में जीना सिखाये और हमें महान आचरण देते हैं। इस अवसर पर शिव-पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर राम भरोसा कंडवाल, नन्दन सिंह, आरएल कुकरेती, श्रीमती शान्ति देवी, रेखा रावत, वीरेंद्र सिंह रावत, कौशल्या देवी, कलावती रावत, आशा नेगी, कुसुम लता, कमला देवी, चंपा नेगी, विनीता डोबरियाल आदि उपस्थित थे।