सड़क निर्माण में पावर प्रोजेक्ट का अड़ंगा

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चमोली। जोशीमठ का पैंग मुरंडा गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। ऐसा नहीं कि इस गांव को यातायात सुविधा से जोड़ने के लिए सरकार ने प्रयास न किए हों। पांच वर्ष पूर्व ही इस गांव के लिए सरकार की ओर से सड़क स्वीकृत हुई है। परंतु क्षेत्र में कार्य कर रही एक जल विद्युत परियोजना इन गांवों तक सड़क पहुंचाने में रोड़ा बन रही है, जिससे ग्रामीणों को आज भी यातायात सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पैंग मुरंडा गांव की आबादी 300 से अधिक है। इस गांव तक जाने के लिए रैंणी गांव तक बदरीनाथ हाईवे है। जबकि यहां से छह किमी पैदल दूरी तय कर गांव पहुंचना पड़ता है। दरअसल, पांच वर्ष पूर्व इन गांवों के लिए सड़क स्वीकृत हुई है। लेकिन आज तक सड़क पर निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक क्षेत्र में कार्य कर रही ऋषिगंगा पावर कारपोरेशन की ओर से अनापत्ति न दिए जाने से यह दिक्कत सामने आ रही है। जिस समय परियोजना का कार्य प्रारंभ हुआ उससे पहले इसी स्थान से पैंग मुरंडा गांवों के लिए पैदल मार्ग जाता था। परियोजना निर्माण के दौरान पैदल मार्ग टूटा तो ग्रामीणों को पहाड़ी से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है। बताया गया कि जब पैदल मार्ग टूटा तब पावर प्रोजेक्ट प्रबंधन ने पैदल मार्ग बनाने के साथ ही इन गांवों को सड़क सुविधा का भी भरोसा दिलाया था। परंतु अब परियोजना ही सड़क निर्माण में रोड़ा बन रही है। पैंग मुरंडा के निवासी गोविद सिंह राणा का कहना है कि पहले उनका पारंपरिक पैदल मार्ग था, जिस मार्ग से वह दशकों से गांव तक पहुंचते थे। परंतु पावर प्रोजेक्ट निर्माण के दौरान पैदल मार्ग तोड़ा गया। अब ग्रामीण पहाड़ियों से जान जोखिम में डालकर गांव तक पहुंचने को मजबूर हैं। गांव की ही सीमा देवी का कहना है कि आज जिले के सुदूरवर्ती गांव सड़क सुविधा से जुड़ चुके हैं। उन्हें भी आस है कि उनका गांव यातायात सुविधा से जुड़ेगा। परंतु पावर प्रोजेक्ट की ओर से अनापत्ति न दिए जाने से उनका यातायात का सपना सपना बनकर ही रह गया है। गांव की जयंती देवी का कहना है कि पैंग मुरंडा क्षेत्र में नकदी फसलें बहुतायत में होती हैं। लेकिन सड़क न होने के चलते नकदी फसलों को बाजार नहीं मिल पा रहा है। सरकार से उम्मीद थी, परंतु पावर प्रोजेक्ट ने उनकी आस को धरासायी कर दिया है।

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