सादगी पूर्वक मनाया जाएगा नववर्ष उत्सव और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पर्व
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। देश में बढ़ते कोरोना संकट के मद्देनजर भारतीय नववर्ष उत्सव एवं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पर्व सादगी पूर्वक मनाने का निर्णय लिया गया है।
नवसंवत्सर अभिनंदन समारोह समिति की जीएमओयूलि सभागार में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आगामी 13 अप्रैल से भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विक्रमी संवत 2078, युगाब्द 5123 प्रारंभ हो रहा है। यह सृष्टि के आरंभ होने का दिवस है। ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की। यह संवत्सरों का भी पहला दिन है। शकों पर विजय प्राप्त कर महाराजा विक्रमादित्य ने इसी दिन भारत के सर्वाधिक प्रचलित विक्रमी संवत् का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का धर्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रों का महापर्व शुरू होता है। एक जनवरी आंग्ल नववर्ष (ग्रेगोरियन कैलेंडर) पाश्चात्य संस्कृति का पर्याय है। जबकि विक्रमी संवत् एवं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति है। यह भारतीय संस्कृति के वैभव, आदर्शों व सामाजिक चेतना का दिन है। बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा कि कोटद्वार में कोरोना माहमारी के मद्देनजर इस वर्ष सादगीपूर्ण ढंग से नववर्ष उत्सव मनाया जाएगा। जनसमुदाय से अपील की गई कि वह 13 अप्रैल नववर्ष की प्रभात बेला में सूर्य को अध्र्य देकर नववर्ष का अभिनंदन करें। घरों में घट स्थापना, देवी पूजन, हवन आदि कार्यक्रम आयोजित कर नववर्ष का स्वागत करें। लोग घरों को सजाएं और पकवान बनाकर और आसपास के घरों में बांटकर तथा बधाई शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान कर नववर्ष पर्व मनाएं। समिति की ओर से 13 अप्रैल प्रात: 10 बजे जीएमओयूलि सभागार में हवन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। महिला कीर्तन मंडलियां एवं नगर की सामाजिक संस्थाएं अपने-अपने केंद्रों पर हवन कार्यक्रम आयोजित करेंगी। समिति के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में चंद्रप्रकाश नैथानी, डॉ. पदमेश बुड़ाकोटी, महानंद ध्यानी, राजगौरव नौटियाल, अमित सजवाण, प्रशांत कुकरेती, लोकेंद्र अण्थ्वाल, राकेश चमोली आदि मौजूद रहे।