कर्णप्रयाग। मोटर मार्ग किसी भी क्षेत्र की लाइफ लाइन होती है। लेकिन ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सड़कों की दरकार है। सरकार के सामने अब इस क्षेत्र को सुलभ सड़क मार्ग से जोड़ना भी एक चुनौती से कम नहीं है।
जब भी यहां विधानसभा का सत्र होता है तो प्रशासन को राजमार्ग बंद करना पड़ता है। साथ ही प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सीधा जुड़ा न होने के कारण भी बाहर से आये लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। आलम यह है इस क्षेत्र को वर्तमान में जोड़ने वाला एक मात्र एक लेन सड़क मार्ग कर्णप्रयाग- नैनीताल है, जो कि अब ग्रीष्मकालीन राजधानी की जरूरतों के लिए नाकाफी है। अलबत्ता सरकार को भविष्य में बड़ी तेजी से मोटर मार्गों को चौड़ीकरण एवं विस्ताकरण की आवश्यकता पड़ेगी। हालांकि आज भी कई क्षेत्र में कई ऐसे मार्ग जो या तो चौडीकरण की बाट जोह रहे हैं या फिर वन अधिनियम के कारण रुकी है।
यदि उन्हीं मोटर मार्गों को चौड़ीकरण, सुधारीकरण और निर्माण हो जाता है इससे प्रदेश के अन्य स्थानों से यहां आवागमन के लिए परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। एनएच के जेई गौरव भट्ट का कहना है कि एनएच को पांण्डुवाखाल से कर्णप्रयाग तक डब्बल लेन निमार्ण प्रस्तावित है।
इन सड़कों को है चौड़ीकरण की दरकार
रामनगर -चौखुटिया -गैरसैंण -कर्णप्रयाग
रानीखेत -चौखुटिया- गैरसैंण
कोटद्वार- जगत पुरी- नागचुलाखाल
पौड़ी -थलीसैंण -नागचुलाखाल -मेहलचौंरी -चौखुटिया
पौड़ी -पैठाणी- नंदासैंण -आदिबदरी
ये सड़के फंसी है वन अधिनियम के कारण
बीएमबी मोटर मार्ग देवपुरी से कस्बी नगर- ग्वालदम- बागेश्वर
दिवालीखाल -कुमोली -नारायण बगड़ मोटर मार्ग
गैरसैंण -सारकोट- भराड़ीसैंण डामरीकरण
ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने से क्षेत्र को प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जोड़ने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जायेगा ताकि लोगों को यहां आने के लिए परेशानी न हो।
सुरेंद्र सिंह नेगी, विधायक कर्णप्रयाग