कोटद्वार-पौड़ी

जयंती पर सरला बहिन व जगजीवन राम को किया याद

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गढ़वाल सर्वोदय मंडल की ओर से आयोजित किया गया कार्यक्रम
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : गढ़वाल सर्वोदय मंडल की ओर से महात्मा गांधी की शिष्य सरला बहिन व पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की जयंती मनाई गई। इस दौरान सदस्यों ने समाज सेवा के लिए महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
बुधवार को व्यापार मंडल सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सीता गुप्ता, योगेश पांथरी, रतन सिंह नेगी, चक्रधर शर्मा ‘कमलेश’, सर्वाेदय सेविका शशिप्रभा रावत ने सरला बहिन व पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को श्रद्धांजलि अर्पित की। सर्वोदयी सेविका शशिप्रभा रावत ने कहा कि 1932 में जब कैथरीन भारत आई तो गांधी विचारधारा से इतनी प्रभावित हो गई की यहीं की होकर रह गयी। तब गांधी जी ने उनका अंग्रेजी नाम कैथरीन मैरी हेईलमैन बदलकर सरला बहिन रख दिया। उनक मानना था कि अंग्रेजों को भारत छोड़ देना चाहिए व भारतीयों को स्वतंत्रता देनी चाहिए, जिसका प्रतिफल था कि वे अपने ही देश के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में कूद गई। मुख्य अतिथि योगेश पांथरी ने पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम के जीवन पर प्रकाश डाला। कहा कि बाबू जी के नाम से लोकप्रिय जगजीवन राम एक उच्च शिक्षा प्राप्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक न्याय के योद्धा, ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय नेता, उत्कृष्ट सांसद, एक सच्चे लोकतंत्रवादी समर्थ केन्द्रीय मंत्री, सक्षम प्रशासक और भारत के असाधारण रूप से प्रतिभाशाली वक्ता थे। उनका एक विशाल व्यक्ति था और उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रतिबद्धता, समर्पण के साथ आधी सदी से अधिक लम्बी पारी खेली, वे जिस भी विभाग के मंत्री पद पदासीन हुए उसका कुशलता दूरदर्शिता से नेतृत्व किया और ऐतिहासिक विकास कार्य करते हुए फलीभूत हुआ। 5 अप्रैल 1908 को बिहार के शाहाबाद जिले के छोटे से गांव चंदवा में जन्मे बाबू जगजीवन राम का 06 जुलाई 1986 को देहावसान हुआ। इस मौके पर प्रवेश नवानी, सत्यप्रकाश थपलियाल, पूर्व डीएफओ धीरजधर बछुवान, शूरबीर खेतवाल, विनय रावत, गौरव रावत, राजेंद्र पन्त, कर्नल बिमला रावत, सुनीता बिष्ट, जयबीर सिंह रावत, पूरन सिंह रावत, विकास आर्य, विजय लखेड़ा, अरुण कुमार, नरोत्तम शर्मा, राकेश अग्रवाल, लक्ष्मी देवी, अमेरिका सिंह, नेत्र सिंह रावत आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन पीएल खंतवाल व सुरेंद्र लाल आर्य ने किया।

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