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छात्रवृत्ति घोटाला: यूपी, हिमाचल और हरियाणा के अधिकारियों पर भी चलेगा केस

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देहरादून। जैसे जैसे कोरोना के मामले कम होते जाएंगे वैसे वैसे उत्तराखंड में हुए करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में अब अन्य राज्यों के समाज कल्याण अधिकारियों पर भी कार्रवाई के बादल मंडराने लगेंगे । इस घोटाले में अब यूपी, हिमाचल और हरियाणा के 40 से अधिक अधिकारी इसमें फंसते हुए दिखाई दे रहे है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि जिलाधिकारी की ओर से पत्र जारी होने के बाद भी बिना भौतिक सत्यापन किए करोड़ों रुपये कॉलेजों को दे दिए गए। जिसमें काफी बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार हुआ है। इन अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की तैयारी एसआईटी हरिद्वार कर रही है।
वर्ष 2018 से चल रही छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में कई कॉलेज संचालकों को गिरफ्तारी के साथ ही समाज कल्याण विभाग के सयुक्त निदेशक गीताराम नौटिया, पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर, सहायक समाज कल्याण अधिकारी खानपुर सोम प्रकाश, सहायक समाज कल्याण अधिकारी भगवानपुर विनोद नैथानी और सहायक समाज कल्याण अधिकारी लक्सर मुनीष त्यागी समेत कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केस चल रहा है।
इनके खिलाफ चार्जशीट भी पुलिस में दाखिल कर दी है। कई सौ करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में उत्तराखंड के अलावा यूपी, हिमाचल और हरियाणा के भी समाज कल्याण अधिकारी शामिल है। इन प्रदेशों के कॉलेजों को छात्रवृत्ति वहां के अधिकारियों की मिलीभगत से ही दी गई है। क्योकि उत्तराखंड की ओर से संबंधित जिले के जिलाधिकारियों को सत्यापन कराने के लिए पत्र लिखा गया था। जिस पर जिलाधिकारियों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को कॉलेजों में जाकर भौतिक सत्यापन के लिए कहा था। लेकिन बिना सत्यापन किए ही विभिन्न राज्यों के अधिकारियों रे अपनी रिपोर्ट दे दी। जिसके आधार पर उत्तराखंड से करोड़ों रुपये इन कॉलेजों को दे दिए गए। इस पूरे प्रकरण में कई मुकदमे में यूपी, हिमाचल के अधिकारियों की नाम सामने आ चुका है। इन अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की शासन से अनुमति ली जा रही है। जिसके बाद हरिद्वार के मुकदमों में अधिकारियों को नामजद किया जाएगा। करीब 50 से अधिक अधिकारी इस पूरे प्रकरण में फंस रहे है।
एसआईटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी, का कहना है कि विधिक राय लेने के बाद जिनका भी घोटाले में नाम आ रहा है। सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के खिलाफ अनुमति मिलने के बाद अलग से भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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