बिग ब्रेकिंग

कोरोना महामारी के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर लगा ग्रहण

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून। धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण कैलाश मानसरोवर यात्रा पिछले साल कोरोना के कारण नहीं हो पाई। इस बार भी इस यात्रा को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई थी लेकिन जैसे जैसे इसकी तिथि नजदीक आ रही है वैसे वैसे उसके होने की संभावना क्षीण होती जा रही है। ऐसे में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की ओर से संचालित आदि कैलाश यात्रा पर भी ब्रेक लगना तय है। आमतौर पर इन दिनों यात्रा की तैयारियां की जाती थीं, लेकिन इस बार न तो विदेश मंत्रालय स्तर पर और न ही केएमवीएन ने यात्रा को लेकर कोई पहल की है। हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा से केएमवीएन को करीब 2.5 करोड़ से अधिक की आमदनी होती है। अगर इस बार भी यह यात्रा नहीं होगी तो केएमवीएन को राजस्व का नुकसान होगा।
वर्ष 2020 में कोविड-19 के चलते पहली बार यात्रा पर ब्रेक लगा। इसके बाद निगम ने आदि कैलाश यात्रा को भी रद कर दिया। प्रति वर्ष 12 जून से शुरू होने वाली इस यात्रा में अब तक कई दौर की बैठक और अन्य तैयारियां हो जाती थीं। लेकिन इस बार न तो विदेश मंत्रालय स्तर पर और न ही केएमवीएन ने यात्रा को लेकर कोई पहल की है। इसके चलते माना जा रहा है कि कोविड के बढ़ते प्रकोप के कारण यात्रा का रद होना लगभग तय है। इसके रद होते ही आदि कैलाश यात्रा पर भी ब्रेक लगना तय है।
केएमवीएन से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 1981 में विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत हुई। विदेश मंत्रालय व चाइना के साथ संयुक्त रूप से संचालित कैलाश मानसरोवर यात्रा में केएमवीएन प्रमुख हिस्सा बना। यात्रियों को दिल्ली से लेकर चाइना बॉर्डर तक पहुंचाने समेत खान-पान, ठहरने और अन्य व्यवस्थाएं केएमवीएन के हिस्से में आईं। 3 दलों में 59 यात्रियों से हुई शुरुआत के बाद दलों की संख्या 18 तक पहुंच चुकी है। अब तक 460 दलों में 16,865 श्रद्धालु यात्रा कर चुके हैं।
18 दिन की होती है यात्रा
दिल्ली से शुरू होने वाली इस यात्रा में यात्रियों का दल दिल्ली से यात्रा के पहले पड़ाव में उत्तराखंड के काठगोदाम पहुंचने के बाद इन यात्रियों का केएमवीएन कुमाउनी रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार स्वागत करता है। इसके बाद दल अल्मोड़ा से पिथौरागढ़, धारचूला, नजंग, बूंदी, गुंजी, लिपुलेख आदि विभिन्न पड़ावों को पूरा कर पैदल मार्ग से चाइना में प्रवेश कर जाता है। इस तरह कैलाश मानसरोवर यात्रा में लगभग 18 दिन लगते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा रद होने का अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय की ओर से लिया जाता है। विदेश मंत्रालय की ओर से निगम को अभी कोई संबंधित पत्र नहीं आया है। लेकिन कोविड के चलते हालात प्रतिकूल हैं। – रोहित मीणा, प्रबंध निदेशक, केएमवीएन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!