उत्तराखंड

राजभवन में हुआ नए आपराधिक कानूनों के संबंध में सेमिनार का आयोजन

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– भारतीय आत्मा से बने ये तीनों कानून हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत बड़ा बदलाव लाएंगे : राजपाल
देहरादून। शुक्रवार को राजभवन में नए आपराधिक कानूनों के संबंध में सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में तीन नए कानूनों, भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 के बारे विधि परामर्शी श्री राज्यपाल अमित कुमार सिरोही, प्रति-कुलपति उत्तरांचल विश्वविद्यालय प्रो. राजेश बहुगुणा और अभियोजन अधिकारी श्री जावेद अहमद ने प्रस्तुतीकरण दिए। वक्ताओं ने नए कानूनों की आवश्यकता और प्रभाव, आपराधिक कानूनों की बुनियादी अवधारणा और उसका विकास, आपराधिक कानूनों में बुनियादी परिवर्तन आदि के बारे में जानकारी दी।सेमिनार में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि सदियों से चले आ रहे विभिन्न पुराने और गैर जरूरी कानूनों को हटाकर वर्तमान परिस्थिति के अनुसार नए आपराधिक कानूनों को लागू किया जाना ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा नए कानून न्याय की अवधारणा को और मजबूत करेंगे और न्याय मिलने की प्रक्रिया को अधिक सरल और सुलभ बनाने में पुलिस और न्यायालयों की वृहद स्तर पर मदद करेंगे।राज्यपाल ने कहा कि भारतीय आत्मा से बने ये तीनों कानून हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत बड़ा बदलाव लाएंगे। अब हमारी न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी होगी जो भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार संचालित होगी। ये कानून गुलामी की मानसिकता को मिटाने की प्रतिबद्धता को दर्शाते है। उन्होंने कहा कि नई न्याय प्रणाली सभी को पारदर्शी और त्वरित न्याय देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने का कार्य करेगी। नए कानून न्याय, समानता और निष्पक्षता के मूल सिद्धांतों के आधार पर लाए गए हैं साथ ही इनमें फोरेंसिक साइंस को बहुत महत्व दिया गया है। नए कानून नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के साथ कानून व्यवस्था को भी और अधिक सुदृढ़ करेगी। उन्होंने कहा कि सभी को इन कानूनों की जानकारी होना जरूरी है।
इस अवसर पर सचिव श्री राज्यपाल रविनाथ रामन, अपर सचिव स्वाती एस भदौरिया, उप सचिव जी.डी. नौटियाल, वित्त नियंत्रक डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव सहित राजभवन के अधिकारी/कर्मचारी एवं पुलिस विभाग के कर्मचारी और लॉ कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।

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