शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर पीएम मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी समेत दिग्गज हस्तियों ने जताया शोक
नई दिल्ली, एजेंसी। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे। स्वामी स्वरूपानंद द्वारका, शारदा और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे। वह एक साल से अधिक समय से बीमार चल रहे थे। द्वारका पीठ के सेकेंड-इन-कमांड (दांडी स्वामी के नाम से विख्यात) स्वामी सदानंद महाराज ने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन नरसिंहपुर जिले में उनके आश्रम में दोपहर करीब साढ़े तीन बजे हुआ। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर दिग्घ्गज सियासी हस्तियों ने शोक संवेदना प्रकट की है।
प्रधानमंत्री नरेन्घ्द्र मोदी ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की। उन्घ्होंने ट्वीट कर कहा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति़.़.
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। सनातन संस्ति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे। उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें। घ् शांति़.़
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा- पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार दु:खद है। उन्होंने हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। सादर श्रद्घांजलि़.़
मध्य प्रदेश के मुख्घ्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा- भगवान शंकराचार्य द्वारा स्थापित पश्चिम आम्नाय श्रीशारदापीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्राणांत की सूचना अत्यंत दु:खद है। पूज्य स्वामी जी सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे। भारतीय ज्ञान परम्परा में आपके अतुलनीय योगदान को अखिल विश्व अनंत वर्षों तक स्मरण रखेगा। पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के चरणों में अनंत श्रद्घा के सुमन अर्पित करता हूं। शांति़.़
कांग्रेस के वरिष्घ्ठ नेता दिग्घ्वघ्जिय सिंह ने कहा- हमारे पूज्य गुरुदेव जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोक गमन की खबर मेरे लिए गहरे आघात जैसी है और बड़ी व्यक्तिगत क्षति है। वे मेरे मार्गदर्शक तो थे ही, मेरे बहुत बड़े शुभचिंतक भी थे। मैं उन्हें अश्रुपूरित श्रद्घांजलि अर्पित करता हूं। शांति़.़
शंकराचार्य का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में हुआ था। उनके माता पिता ने उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। उन्होंने 9 साल की उम्र में ईश्घ्वर की खोज में घर छोड़कर संन्घ्यास का मार्ग अपना लिया। वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल भी गए। वह 1981 में शंकराचार्य बने। हाल ही में उनका 99वां जन्मदिन मनाया गया था। शंकराचार्य का अंतिम संस्कार सोमवार को होगा। वह अपने बेबाक बयानों के लिए भी जाने जाते थे।
बेबाक बयानों के लिए थे विख्यात
शंकराचार्य स्घ्वामी स्वरूपानंद सरस्घ्वती का रविवार को निधन हो गया। स्घ्वामी स्घ्वामी स्घ्वरूपानंद सरस्घ्वती दो पीठों (ज्घ्योतिर्मठ और द्वारका पीठ) के शंकराचार्य थे। वह सनातन धर्म की रक्षा के लिए आजीवन प्रयासरत रहे। स्घ्वामी स्घ्वरूपानंद सरस्घ्वती लंबे समय से बीमार थे। उन्घ्होंने नरसिंहपुर जिले की झोतेश्घ्वर पीठ के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। स्घ्वामी स्घ्वामी स्घ्वरूपानंद सरस्घ्वती अपनी बेबाक बयानी के लिए भी चर्चित थे। उनके निधन से संत समाज में शोक है।
99 वर्षीय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। कुछ ही दिन पहले ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में लौटे थे। उन्घ्होंने इसी आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था और जेल भी गए थे।
शंकराचार्य स्वामी स्घ्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को हुआ था। स्वामीजी ने महज नौ साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। 1980 में उन्घ्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। वह धर्म के साथ राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अनेक वरिष्ठ नेता उनके अनुयायी रहे हैं। वह ज्योतिर्मठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य थे।
शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। महज 19 साल की उम्र में स्घ्वतंत्रता सेनानी के तौर पर उनकी ख्घ्याति देशभर में फैल चुकी थी और वह क्रांतिकारी साधु के रूप में चर्चित हो गए थे। यह 1942 का दौर था जब देश अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था।
सिवनी जिले के दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्घ्मे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि विवाद मामले में एक तल्घ्ख बयान में भाजपा और विश्घ्व हिंदू परिषद पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि कुछ संगठन अयोध्या में मंदिर के नाम पर अपना कार्यालय बनाना चाहते हैं जो हमें कतई मंजूर नहीं है। उन्घ्होंने इस मुद्दे पर हो रही राजनीति की आलोचना की थी। साल 1950 में उन्घ्हें दंडी संन्यासी और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्घ्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं़.़ ओम शांति! वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन का दु:खद समाचार मिला। सनातन संस्ति एवं धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें। घ् शांति़.़