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श्री हेमकुण्ड साहिब : अंतिम अरदास के बाद बंद हुए कपाट, 1500 से अधिक श्रद्घालु बने इस पावन पल के साक्षी

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गोपेश्वर। पूर्ण विधिविधान एवं अंतिम अरदास के साथ श्री हेमकुण्ड साहिब जी के कपाट सोमवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सोमवार दोपहर डेढ़ बजे बैंड की मधुर धुन व पंच प्यारों की अगुवाई में कपाट बंद किए गए।
इस अवसर पर लगभग 1500 से अधिक श्रद्घालु कपाट बंद होने की इस अलौकिक बेला के साक्षी बने। वहीं अत्यधिक बारिश एवं बर्फबारी के बीच पुलिस एवं एसडीआरएफ की टीम द्वारा पवित्र निशान साहिब एवं कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद सभी यात्रियों को सकुशल गोविन्दघाट लाया गया।
श्री हेमकुण्ड साहिब जी के साथ लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद किए गए। सोमवार को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद कपाट बंद हुए।
हेमकुंड साहिब में पिछले दो दिन से बर्फबारी हो रही है। आज सोमवार की सुबह भी हल्की बर्फबारी हुई। इसके बावजूद 1500 से अधिक श्रद्घालु कपाटबंदी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब के कपाट 22 मई को खुले थे। इस बार 1़89 लाख श्रद्घालुओं हेमकुंड साहिब में मत्घ्था टेका।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि तीर्थ यात्रियों ने सोमवार तड़के चार बजे घांघरिया से सतनाम वाहेगुरु का जाप करते हुए हेमकुंड साहिब के लिए प्रस्थान किया। उनकी मदद के लिए 418-स्वतंत्र ब्रिगेड के कैप्टन अनमोल प्रीत सिंह के नेतृत्व में सेना के 25 जवान भी साथ में चले।
कपाटबंदी के उत्सव में शामिल होने के लिए दिल्ली से जनक सिंह, करनाल से अमरीक सिंह व जालंधर से भगत सिंह के नेतृत्व में जत्थे भी पहुंचे। उत्सव को याद्गार बनाने के लिए मोगा से पूर्व फौजियों का बैंड भी पहुंचा। कपाटबंदी के दौरान निशान साहेब से जोड़े भी बदले गए।

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