बाबा के जागरों से गुंजयमान हुआ सिद्धों का डांडा
श्री सिद्धबली बाबा को चढ़ाया गया सवामन रोट का भोग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: श्री सिद्धबली मंदिर परिसर में चल रहे तीन दिवसीय श्री सिद्धबली बाबा वार्षिक अनुष्ठान के समापन अवसर पर एकादश कुंडीय यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही सिद्धबाबा के जागर लगाए गए। जागरों से से सिद्धों का डांडा गुंजायमान रहा। जागर संपन्न होने के बाद सवामन रोट का भोग लगाया गया व बाद में इस रोट को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
तीन-दिवसीय मेले के अंतिम दिन ब्रह्ममुहूर्त में श्री सिद्धबाबा के महाभिषेक के उपरांत आचार्य पंडित देवी प्रसाद भट्ट के सानिध्य में रूद्र पाठ हुआ। तत्पश्चात पिछले तीन दिन से चल रहे एकादश कुंडीय यज्ञ का भी पूर्णाहुति के साथ समापन किया गया। यज्ञ समापन के उपरांत श्री सिद्धबाबा के जागर शुरू हुए। ‘अलेठी-पलेठी धौला उडयारी जाग, मोड़ाखाल जाग, मलोठी भाबर मा जाग, सिद्धबली मंदिर मा सिद्धबाबा जाग, माता विमला मोहरी को जाग, राजा कुंवरपाल को जाग’ जैसे जागरों के धुन के बीच कई महिलाएं व पुरुष ‘देवी-देवताओं’ के प्रभाव में आकर नाचने लगे। जागर मुख्य जागरी सर्वेंद्र कुकरेती व उनके साथी हरीश भारद्वाज व मंगे लाल ने लगाए, जिन्हें सुनने को भारी तादाद में कोटद्वार समेत आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु सिद्धबली मंदिर में पहुंचे थे। जागर के दौरान सिद्धबाबा के प्रभाव में आए भक्तों ने अपनी पीठ पर लोहे के सांकल से प्रहार शुरू कर दिया व दहकते हुए अंगारों पर नृत्य करने लगे। इसके बाद सवामन आटे के रोट का भोग लगाया गया। मेले के दौरान तीन दिनों तक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें कोटद्वार क्षेत्र के अलावा नजीबाबाद, बिजनौर, मेरठ सहित कई अन्य क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।