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तिहाड़ जेल में सत्येंद्र जैन से 300 मीटर दूर रहेंगे सिसोदिया, मिलेंगी जरूरत की चीजें

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नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट से उन्हें करीब साढ़े तीन बजे जनकपुरी के रास्ते गेट नंबर-4 से तिहाड़ जेल लाया गया। बता दें कि दिल्ली सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी इसी जेल में बंद हैं। उन्हें मनी लन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
सत्येंद्र जैन और सिसोदिया की जेलों के बीच की दूरी मीटर है। जैन जेल नंबर-7 में हैं, तो सिसोदिया जेल नंबर-1 में रहेंगे। दोनों की जेल में 300 मीटर की दूरी है।
जेल ले जाते समय सिसोदिया की ड्योढ़ी पर फोटोग्राफी, अन्य जानकारी दर्ज करने के बाद स्वास्थ्य जांच की गई। पूरी प्रक्रिया के बाद उन्हें जेल में प्रवेश मिला। सिसोदिया को रोजमर्रा से जुड़ी जरूरत के लिए एक किट दी जाएगी, जिसमें पेस्ट, ब्रश, साबुन, तेल, तौलिया सहित अन्य जरूरी सामान होता है।
जेल में सिसोदिया की दिनचर्या की शुरुआत सुबह छह बजे शुरु होगी। जेल के नियमों के अनुसार, सुबह छह बजे से शाम सात बजे तक उन्हें उन तमाम प्रक्रियाओं का सामना करना होगा जो अन्य कैदी करते हैं। छह बजे तक सोकर उठने के बाद सुबह सात बजे वे अपनी बैरक से बाहर निकलकर कैदियों की गिनती में शामिल होंगे।
जेल अधिकारियों के अनुसार, सिसोदिया को कोर्ट द्वारा दी गई सुविधाओं के अतिरिक्त जेल में किसी भी तरह की विशेष सुविधा नहीं दी जाएगी। वे जेल में एक सामान्य कैदी की तरह रहेंगे और सभी नियमों का पालन करेंगे। उनकी प्रत्येक गतिविधि पर जेल प्रशासन की पैनी नजर रहेगी।
बता दें कि 26 फरवरी को सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति (2021-22) घोटाला मामले में सिसोदिया को आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 27 फरवरी को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश कि गया। जहां से उन्हें चार मार्च तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया। चार को कोर्ट ने फिर से उनकी दो दिन हिरासत बढ़ा दी। सिसोदिया सोमवार (6 मार्च) तक सीबीआई हिरासत में रहे। इसके बाद उन्हें सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सिसोदिया ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी और जांच को 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जहां से राहत न मिलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने की सलाह दे दी। इसके बाद उन्होंने 28 फरवरी को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
सीबीआई ने पूर्व उपमुख्यमंत्री पर दिल्ली आबकारी नीति मामले की जांच में कथित रूप से सहयोग नहीं करने और जांचकर्ताओं के सवालों से बचने का आरोप लगाया था।

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