यात्रा के लिए अब तक 1661 वाहनों के बनें ग्रीन कार्ड, लिंक रूटों पर वाहनों की नहीं होगी कमी
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड बनने का सिलसिला जारी है। अभी तक पौड़ी परिवहन संभाग में 1661 वाहनों के ग्रीन कार्ड बना दिए गए हैं। हालांकि अभी चारधाम यात्रा में वाहनों की किसी तरह की कमी सामने नहीं आई है। वहीं यात्रा के कारण लिंक रूटों पर आवागमन बाधित न हो इसके लिए परिवहन महकमे ने पूरी व्यवस्थाएं की है। हर बार चारधाम यात्रा में वाहनों के व्यस्त हो जाने के कारण जिलों में लिंक रूटों पर यातायात को लेकर स्थानीय लोगों को परेशानियां होती है। लिंक रूटों पर आवागमन चलता रहे इसके लिए रूट वार टैक्सी के संचालन को लेकर कार्ययोजना बनाई गई।
पौड़ी के आरटीओ द्वारिका प्रसाद ने बताया कि इस संबंध में पहले ही खाका खींचा गया है। टैक्सी यूनियनों से बातचीत कर 8 से लेकर 10 छोटे वाहन रिजर्व में रखे जाएंगे जो लिंक रूटों की यातायात व्यवस्था के लिए होंगे। आरटीओ के मुताबिक बस कंपनी जीएमओयूलि से लेकर अन्य को भी रोटेशन से ही बसों के संचालन के लिए कहा गया है। बस जैसे ही यात्रा का एक चक्कर काट कर आएंगी वह अपने पुराने रूट पर चलेगी ताकि वह लिंक रूटों पर यातायात को लेकर किसी तरह की परेशानी न हो। आरटीओ पौड़ी ने बताया कि जो बसे यात्रा पर लगी है, वह एक चक्कर लगने के बाद ही वह अपने रूट पर वापस आ जाएगी। जबकि 8 से लेकर 10 टैक्सी वाहन भी लिंक रूटों के लिए रहेंगे जिस रूट से डिमांड आएगी उन्हें वहां संचालिल किया जाएगा। इसी तरह से सचल सेवा के माध्यम से सोन प्रयाग से गौरीकुंड तक की यातायात व्यवस्था संचालित की जा रही है। बीते साल चारधाम यात्रा के लिए अकेले पौड़ी संभाग जिसमें पौड़ी, कोटद्वार, रुद्रप्रयाग और चमोली शामिल है 1751 वाहनों के ग्रीन कार्ड बनाए गए थे, लेकिन अभी दो महीने के भीतर ही इस संभाग में ग्रीन कार्ड की संख्या 1661 तक पहुंच गई है और आगे भी इस संख्या में बढ़ोत्तरी होनी है।
चित्रा गार्डन पर्यावरण संरक्षण में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका : पद्मश्री मैती
श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की पहल पर ग्रीन कैंपस बनाने की मुहिम साकार होती जा रही है। यहां गढ़वाल विवि की बंजर पड़ी 10 हेक्टयर भूमि पर मिश्रित वन तैयार किया गया है। विगत तीन वर्षों में कुलपति के निर्देशों पर हैप्रक के वैज्ञानिकों एवं विवि के इंजीनियर महेश डोभाल सहित अन्य के प्रयासों ने बंजर भूमि को मिश्रित वन में तब्दील कर दिया है। यहां लगे सेब के पेड़ दो ही साल में फल देने लगे हैं।
चित्रा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम फेज में एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग 20 प्रजातियों के 3 हजार जीवित पौधों का रोपण किया गया था। जिसमें जामुन, आंवला, रीठा, पीपल, बांज, सेब, हरड़, पिलखन, शहतूत, तेजपत्ता, लसोड़ा, डैकन, आम, अनार, लोहकाट, प्लम, खुमानी, अमरूद, लीची, नींबू, टिमरू आदि प्रजातियां शामिल हैं। श्रीनगर पहुंचे पद्मश्री कल्याण सिंह रावत (मैती) ने जब श्रीनगर बुघाणी रोड पर तैयार किए गए चित्रा गार्डन का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने विवि के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो. नौटियाल के मार्गदर्शन में विवि द्वारा तैयार किया गया यह गार्डन पढ़ाई एवं शोध के साथ-साथ, पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि इस जंगल के विकसित होने से श्रीनगर के आस पास प्रदूषण की समस्या तो कम होगी ही साथ ही लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी। (एजेंसी)